शिक्षा बोर्ड सेमेस्टर प्रणाली को अगले शिक्षा सत्र से करे शुरू अन्यथा अध्‍याापक संघ करेगा आंदोलन

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ज्वाली- माध्वी पंडित

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने शिक्षा बोर्ड द्वारा समेस्टर सिस्टम को वर्तमान शिक्षा सत्र से आनन-फानन में लागू करने का विरोध किया है। जारी बयान में संघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेश महाजन, महासचिव नरोत्तम वर्मा, वित्त सचिव परस राम, महिला विंग राज्य अध्यक्ष निशा मिश्रा, वरिष्ठ उपप्रधान अरुण पठानिया, सुरेश नरयाल, राकेश कुमार चीफ प्रेस सेक्रेटरी मनीष सूद, चेयरमैन ग्रीवेंस कमेटी मनसा राम, जिला बिलासपुर के प्रधान यशवीर रनोत, चंबा के संजय ठाकुर, हमीरपुर के संजीव ठाकुर, कांगड़ा के नरेश धीमान, मंडी के अश्विनी गुलेरिया, सोलन के कश्मीरी ठाकुर, सिरमौर के हरदेव ठाकुर, शिमला के सुरेश कंवर, उन्ना के रविंद्र गुलेरिया ने संयुक्त बयान में बताया कि टर्म एक परीक्षा से केवल एक माह पूर्व जारी परीक्षा अधिसूचना को बोर्ड की लापरवाही बताया है।

दो बार परीक्षा का प्रावधान सही पर अगले सत्र से हो लागू

संघ का कहना है कि नई शिक्षा नीति के अनुसार कक्षा नवमी से प्लस टू तक वर्ष में दो बार परीक्षा करने का प्रावधान उचित है और संघ उसका स्वागत करता है। लेकिन इसे वर्तमान शिक्षा सत्र के मध्य में लागू करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इसमें शिक्षक और शिक्षार्थीयों को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार होने को समय न मिलने से यह लाभप्रद नहीं रहेगा। संघ प्रदेश शिक्षा बोर्ड से और प्रदेश सरकार से मांग करता है इस नई प्रणाली को उचित तैयारी और योजना के साथ अगले शिक्षा सत्र से लागू किया जाए।

बोले महाजन पाठ्यक्रम व्यवहारिक नहीं

नरेश महाजन ने बताया कि अभी प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा बिना पूर्व तैयारी नई सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने के लिए हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा अपनी वेबसाइट पर छमाही परीक्षाओं के लिए डाला जा रहा पाठ्यक्रम व्यवहारिक नहीं है। संघ ने आरोप लगाया कि बोर्ड द्वारा बनाया गया कुछ विषयों के पाठ्यक्रम में जहां हटाये गये पाठ्यक्रम को भी डाला गया। वही कुछ विषयों के पाठ्यक्रम को छोड़ दिया गया तथा कुछ विषयों में दोनों छमाही में एक ही विषयवस्तु को डाला गया हें। इस प्रकार से आनन फानन में बनाया गया यह पाठ्यक्रम शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों दोनों को ही परेशान करने वाला है।

अधयापक संघ की अपील

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने बोर्ड से अपील की है कि इस पाठ्यक्रम को अधिक व्यवहारिक बनाने के लिय इस पर गंभीरता से पुनर्विचार किया जाये। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इस समेस्टर सिस्टम को लागू करने का यह उचित समय नहीं बोर्ड इस व्यवस्था के अनुसार नवंबर में पहले टर्म आयोजित कर रहा हे और जिसके लिए केवल मात्र एक महीने का समय शेष है अगर पहला टर्म नवंबर में आयोजित करना था तो सितंबर में पहले टर्म करवाने की क्या आवश्यकता थी नवंबर में पहला टर्म उसके बाद जनवरी फरवरी में छूट्टियां और मार्च में दूसरा टर्म समझ से परे है।

शीतकालीन अवकाश में 15 दिवस फरवरी के शेष रह जाएंगे

शीतकालीन अवकाश में नवंबर के बाद मात्र एक माह दिसंबर तथा केवल 15 कार्य दिवस फरवरी के ही शेष रह जायेंगे। जिसमें दूसरी छमाही का पाठ्यक्रम पुर्ण करवा पाना जहां शिक्षकों के लिए एक बहुत बढ़ी चुनौती होगी। वहीं विद्यार्थियों के लिए काफी जटिल कार्य है। इसके अतिरिक्त वर्तमान परिस्थितियों में जहां अभी नियमित कक्षाये तक नहीं लग पा रही हें, न विद्यार्थी और न ही अभिभावक मानसिक रुप से इस अकस्मात हुए परिवर्तन के लिय तैयार हैं। इस प्रकार का आननफानन का यह निर्णय विद्यार्थियों के हित में नहीं है।

अध्यक्ष व महासचिव ने जताई हैरानी

संघ के अध्यक्ष नरेश महाजन और महासचिव नरोत्तम वर्मा ने बताया कि ये बहुत ही हैरानी का विषय हैं कि बोर्ड द्वारा जब इतना बड़ा निर्णय लिया गया तो इस संबंध में शिक्षक संगठनों से कोई चर्चा नहीं की गई। संघ ने इस व्यवस्था को अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू करने की माँग की है संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि अगले वर्ष से प्रथम टर्म दिसंबर में तथा दूसरा टर्म जून में होना चाहिए। जैसा की स्नातक परीक्षाओं के लिए रहता है ताकि विद्यार्थी और शिक्षक समय रहते अपने आप को इस व्यवस्था के अनुरूप ढाल सकें और एक बेहतर कार्य को अंजाम दे सकें।

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