सीनियर सैकेडरी स्कूल लमीनी में विद्यार्थियों के कोरोना पाजिटिव पाये जाने के बाद कंटोनमेंट जोन घोषित किया

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पठानकोट- भुपिंद्र सिंह राजू:-

पठानकोट शहर के दो दिन पहले ही शहर के सरकारी सीनियर सैकेडरी स्कूल लमीनी में सैपलिंग के दौरान विद्यार्थियों के कोरोना पाजिटिव पाये जाने के बाद इसे कंटोनमेंट जोन एरिया घोषित करते हुए आगामी 14 दिनों के लिए स्कूल बंद कर दिया गया था !

परंतु बावजूद इसके जिले के आज स्कूल मुखियों को लमीनी स्कूल में शिक्षा विभाग की ओर से जारी की गई 2019 में प्री प्राइमरी झूले ग्रांट 19000 के लिए जिले के 7 ब्लाकों के 376 स्कूल मुखिया,ब्लॉक के स्टाफ, जिला शिक्षा अफसर का स्टाफ और पेपर स्टाफ , महेंद्र सिंह कोऑर्डिनेटर मोहाली पंजाब 5 सदस्यों की चंडीगढ़ से आई टीम ने जिले के लगभग 500 टीचरों को इकट्ठा किया गया !

ग्रांट इंक्वायरी के लिए अध्यापकों का आधे घंटे का 25 प्रश्नावली पेपर लिया गया और पेपर लेने को बुलाया गया जिसका जीटीयू तथा सांझा अध्यापक मोर्चा पंजाब ने कड़ा विरोध किया है।

करोना फैलाने और लगभग 500 लोगो को करोना पाबंदियां लगे होने के बावजूद इकट्ठा करने का आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए सख्त कार्रवाई करने की मांग की संबोधन करते हुए जीटीयू के जिला प्रधान बोधराज, उपप्रधान रवि दत,सांझा अध्यापक मोर्चा के कंनीवनर विनोद कुमार,रविकांत तथा रमन कुमार आदि ने रोष जताते हुए कहा कि एक तो स्कूल प्रबंधन की ओर से जिस जगह पर पहले ही कोरोना के मामले आने के बाद उसे कंटोनमेंट जोन एरिया घोषित करते हुए आगामी हुकमों तक बंद किया गया है ।

वहीं दूसरी ओर अध्यापकों के पीने के पानी से लेकर अन्य सुरक्षात्मक कोई प्रबंध नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि पंजाब साल 2020-21 में पी.जी.आई (परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडैकस) में 1000 में से 929 अंक प्राप्त करके देश का पहला प्रांत बन गया है।

इसमें यहाँ सरकार ने कोशिशे की है, वहीं अध्यापक वर्ग ने बड़े स्तर पर अपनी जेबों में से पैसे खर्च किऐ हैं। विभाग और सरकार दोनों इस बात को मानते है। इसके अलावा यहां अध्यापकों ने अपनी जेबों में से पैसे खर्च किए है।

वहीं उन्होंने स्कूल समय के बाद और छुट्टी वाले दिन भी स्कूलों में आकर मेहनत की है।अलग-अलग कार्यो के लिए अपनी ग्रांट जैसे प्वाइंट ग्रांट 50000 रूपये, ऐजुूकेशन पार्क 10000 रूपये, बाल वर्कस 5000 रूपये जैसी ऐसी ग्रांटें है कि कार्य प्रणाली को पूरा करने के लिए अध्यापकों को अपनी जेबोंं से पैसे खर्च करने पड़ते है।

इसी तरह लगभग 95 प्रतिशत स्कूलों में कोई सफाई कर्मचारी/पार्ट टाईम न होने के कारण स्कूल कंपलै1स की सफाई, टायलेटस इत्यादि की सफाई भी अध्यापक वर्ग अपनी जेबों में से करवा रहे है।

पर इसके बाबजूद भी स्कूलों के प्रिंसीपल/इंचार्ज को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने प्री-प्राईमरी कलासों को शुरू कर दिया है परंतु छोटे बच्चों के लिए किसी भी तरह के अटैंडेंट/हैल्पर की भर्ती अभी तक नहीं किये ।

प्राईमरी स्कूलों में अब पांच की जगह सात कलासें है पर अलग स्टाफ का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। जिला पठानकोट में से खर्च की गई 19000 रूपये की ग्रांट की जांच पिछले एक साल से हो रही है।

इस संबंध में स्कूल इंचार्ज ने कई बार संबंधित फाईले जमा करवाई जा चुकी है परंतु बावजूद इसके इन ग्रांटों की जांच के लिए प्राईमरी स्कूल प्रिंसीपल/इंचार्ज को परेशान किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि अगर यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो अध्यापक वर्ग अगली ग्रांटे खर्च करने से इंकार करेंगे जिसकी सारी जिमेदारी जिला विभाग की होगी।

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