एक हादसे से उपजी जरूरत ने तैयार की रक्तदानियों की टीम

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कांगड़ा, राजीव जसबाल

एक हादसा व्यक्ति की जिंदगी में बड़ा कुछ बदलाव करता है। इसमें व्यक्ति बहुत कुछ सीखता है और हादसे के दौरान आने वाली जरूरतों से भी जूझता है। इसी तरह का वर्ष 2016 में घटित एक हादसे ने रक्तदान करने वाले वालंटियर को जोड़ने की कवायद को शुरू किया था। जिसके बाद जीवन के लिए महत्वपूर्ण इस महादान में आज प्रदेश भर में वालंटियर हर समय जरूरतमंदों के लिए रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं।

जिला कांगड़ा में 26 जून 2016 को कांगड़ा सेवियर नाम से वीरेंद्र चौधरी ने 15 सदस्यों को लेकर गु्रप को शुरू किया था। उन्हें यह तब महसूस हुआ जब उनके एक दोस्त के पड़ोसी को टीएमसी में ओ नेगेटिव ब्लड गु्रप की आवश्यकता पड़ी थी। जिसके लिए उन्होंने कई स्थानों पर संपर्क किया, उसके बाद उनके एक दोस्त के पास पढ़ने वाले विद्यार्थी ने रक्तदान किया था। रक्त की आवश्यकता और उसको लेकर मरीजों के तीमारदारों द्वारा की जाने वाली जद्दोजहद से ही वीरेंद्र चौधरी ने ग्रुप का संचालन करने की योजना बनाई और कांगड़ा में 15 सदस्यों के साथ इसको शुरू किया।

मौजूदा समय में गु्रप के करीब 1300 डोनर हैं, वहीं यह ग्रुप अब कांगड़ा के बाहर पालमपुर, धर्मशाला, नगरोटा सूरियां तथा बैजनाथ में भी सेवाएं दे रहा है। इतना ही नहीं ग्रुप ने जिला के बाहर शिमला, हमीरपुर, सोलन, ऊना, चंबा, कुल्लू तथा सिरमौर में भी वालंटियर जोड़ने के साथ ही ग्रुप गठित कर दिए गए हैं और यह गु्रप हजारों जरूरतमंद्दों को रक्तदान कर रहे है।

राज्य में युवतियों का भी गठित है अलग ग्रुप

रक्तदान को लेकर पुरूष ही नहीं बल्कि प्रदेश की युवतियां भी पीछे नहीं हैं। राज्य भर की युवतियों को जोड़ते हुए एक गु्रप का गठन किया गया है, जिसमें अभी तक लगभग 80 युवतियां स्वैच्छा से जुड़ते हुए रक्तदान करती हैं। इसमें ज्यादातर ओ नेगेटिव, बी नेगेटिव तथा ए.बी. नेगेटिव रेयर ब्लड ग्रुप वाली युवतियां भी हैं। इस ग्रुप को फीमेल सेवियर ग्रुप नाम से गठित किया गया है।

कोविड काल के 6 महीनों में डोनेट किया हजार यूनिट ब्लड

पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के चलते बनी विषम परिस्थितियों के बीच भी कांगड़ा सेवियर ग्रुप लगातार एक्टिव रहा। अस्पतालों में मरीजों को रक्त की आवश्यकता पडऩे पर ग्रुप के वालंटियर जरूरतमंदों को रक्तदान करते रहे। इस दौरान 6 माह की अवधि में ही लगभग 1 हजार यूनिट ग्रुप के वालंटियर्स द्वारा दान की गई। इतना ही नहीं 8 कैंप भी विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए।

डी.सी.-एस.पी. भी हैं ग्रुप के सदस्य

जिला कांगड़ा के आलाधिकारी भी ग्रुप के सदस्य हैं। उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति व एस.पी. कांगड़ा विमुक्त रंजन भी ग्रुप से जुड़े हैं तथा आवश्यकता पडऩे पर मरीजों को रक्तदान भी कर चुके हैं। इसी तरह पुलिस, जिला प्रशासन सहित अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी भी ग्रुप से जुड़कर जरूरतमंद मरीजों को रक्त मुहैया करवाते हैं।

थैलेसिमिया के मरीजों को हर माह उपलब्ध करवा रहे रेयर ग्रुप ब्लड

धर्मशाला के समीपवर्ती क्षेत्र की गर्विता का कहना है कि वह थैलेसिमिया रोग से ग्रस्त हैं। उन्हें हर माह 2 यूनिट ए-पॉजिटिव ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि पिछले 3 वर्षां से कांगड़ा सेवियर ग्रुप द्वारा ब्लड मुहैया करवाया जाता है। वहीं, संजय का कहना है कि उन्हें भी हर महीने बी-पॉजिटिव ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में ग्रुप वालंटियर द्वारा उन्हें रक्त मुहैया करवाया जाता है। इसके अलावा नूरपुर क्षेत्र से सबंधित शुभम का कहना उन्हें हर माह ओ-नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता पड़ती है।

ग्रुप के माध्यम से पिछले एक वर्ष से उन्हें ब्लड के लिए परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है। फीमेल सेवियर ग्रुप की को-ऑर्डिनेटर गोपिका शर्मा ने बताया कि महिलाओं को भी रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए। महिलाएं स्वयं को सशक्त समझें और वह इस महादान में अपना योगदान अवश्य दें। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने से किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है, एक स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।

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