प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं दे रही सरकार, चमियाणा-टांडा के बाद आईजीएमसी-नेरचौक को मिलेगा रोबोट
हिमखबर डेस्क
जिस रोबोटिक सर्जरी के लिए पहले एम्स दिल्ली में जाना पड़ता था, इस तकनीक का रोबोट अब हिमाचल में उपलब्ध है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कोशिश से राज्य सरकार ने अब तक शिमला के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चमियाणा और टांडा मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत कर दी है।
बता दें कि चमियाणा में अब तक 40 से ज्यादा और टांडा में कब तक 10 से ज्यादा ऑपरेशन रोबोट के जरिए हो चुके हैं। अब मुख्यमंत्री ने आईजीएमसी शिमला और नेरचौक मेडिकल कॉलेज में भी रोबोटिक सर्जरी शुरू करने का ऐलान किया है। इस तरह से चार रोबोट की खरीद पर करीब 120 करोड़ रुपए सरकार खर्च करेगी।
रोबोटिक सर्जरी बाद में हिमकेयर और आयुष्मान के तहत भी उपलब्ध होगी। अभी इस सर्जरी पर औसतन 80 हजार रुपए का खर्चा आ रहा है। चमियाणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में यूरोलॉजी डिपार्टमेंट ने अधिकतर सर्जरी की हैं। सर्जिकल टीम को रोबोट की मदद से ऑपरेशन करने में ज्यादा आसानी हुई है। सटीक ऑपरेशन के कारण इस तकनीक से रिकवरी फास्ट है।
ब्लड लॉस काम होता है और टिशु डैमेज भी मिनिमम है। इस कारण मरीजों को जल्दी घर भेजा जा सकता है। अब मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही आईजीएमसी शिमला में यह सुविधा उपलब्ध करवाने को कहा है, जहां केएनएच से गायनी विभाग की सर्जरी भी होंगी। आईजीएमसी शिमला में कमला नेहरू अस्पताल के मरीजों की रोबोटिक सर्जरी के लिए 40 बेड आबंटित किए जाएंगे।
केएनएच के स्त्री रोग विशेषज्ञ रोबोटिक सर्जरी के अलावा आईजीएमसी में इलेक्टिव सर्जरी भी करेंगे। आईजीएमसी में रोबोटिक और इलेक्टिव सर्जरी का तीन माह तक ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद समीक्षा कर आगामी बदलाव किए जा सकते हैं। मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज के लिए भी मुख्यमंत्री रोबोटिक सर्जरी का ऐलान कर चुके हैं।
स्क्रीन न दिखे, तो फ्रीज हो जाता है रोबोट
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाणा के प्रिंसीपल डॉक्टर बृज शर्मा ने बताया कि यह रोबोट काफी आधुनिक है। सर्जन कंसोल से ही इसे कंट्रोल करता है और उंगलियों के साथ कलाई की मूवमेंट से सारा काम होता है। यदि सर्जन को सर्जिकल एरिया में कैमरे का व्यू न दिखे, तो सेंसर के कारण सारे रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट्स फ्रीज हो जाते हैं। यह रोबोट सर्जन की कमांड के बिना कुछ नहीं करता। इसलिए इसके जरिए ऑपरेशन प्रभावी और सुरक्षित है। प्रदेश सरकार की यह पहल मरीजों के लिए एक वरदान से कम नहीं हैं।