एनजीटी के आदेश के बाद प्रशासन का बड़ा फैसला, मणिमहेश झील के पास नहीं लगेंगे लंगर

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एनजीटी के आदेशों पर भरमौर प्रशासन का सख्त फैसला, श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ स्वच्छता और आस्था दोनों का रखा जाएगा ध्यान, एडीएम बोले: आस्था के साथ पर्यावरण भी हमारी जिम्मेदारी

हिमखबर डेस्क

उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा इस वर्ष एक नई व्यवस्था और संकल्प के साथ होने जा रही है। मणिमहेश यात्रा इस बार अधिकारिक रूप से 16 अगस्त से शुरू होगी, जो कि आगामी 31 अगस्त तक चलेगी। आस्था, परंपरा और प्रकृति के संगम इस पावन यात्रा को इस बार और भी पवित्र और सुव्यवस्थित रूप देने के लिए भरमौर प्रशासन ने कड़ा फैसला लिया है।

डल झील की दिव्यता और पर्यावरण की नाजुकता को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों को पूरी सख्ती से लागू किया जाएगा। प्रशासन ने निर्णय लिया है कि इस बार मणिमहेश में डल झील के आसपास कोई लंगर नहीं लगेगा।

यह फैसला न केवल डल झील की पवित्रता बनाए रखने के लिए लिया गया है, बल्कि यात्रा मार्ग पर लगातार सामने आ रही समस्याएं जाम, गंदगी और जल संकट को दूर करने की दिशा में भी एक ठोस पहल है। झील की ओर जल प्रवाह क्षेत्र में कोई भी लंगर नहीं लगेगा। झील से दूर व विपरीत जलप्रवाह क्षेत्र में ही लंगर लगेंगे।

भरमौर में भी डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में नहीं लगेंगे लंगर

इसके अलावा भरमौर में ददबां और पट्टी के बीच करीब डेढ़ किलोमीटर के मार्ग पर कोई भी लंगर नहीं लगाया जाएगा। पिछले वर्षों के अनुभवों से सबक लेते हुए प्रशासन ने पाया कि इस सीमित क्षेत्र में सैकड़ों लंगर लगने से न केवल यातायात अवरुद्ध होता रहा, बल्कि जलस्रोतों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता था। इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा था और डल झील के समीप गंदगी का अंबार श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रहा था।

उपयुक्त स्थान पर लगाए जाएंगे लंगर

इस बार एक जिम्मेदार और सशक्त निर्णय लेते हुए प्रशासन ने तय किया है कि लंगरों की व्यवस्था किसी अन्य उपयुक्त और व्यवस्थित स्थान पर की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को प्रसाद और भोजन की सुविधा भी मिले और डल झील के समीप पवित्रता भी बनी रहे।

लापरवाह व्यवस्था अस्तित्व पर खतरा 

डल झील न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र का भी हिस्सा है। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और लापरवाह व्यवस्था इसके अस्तित्व पर खतरा बनती जा रही थी। एनजीटी के आदेश को आधार मानते हुए इस बार यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर श्रद्धालु के मन में आस्था बनी रहे और प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी।

भरमौर प्रशासन ने की यात्रा की तैयारी

भरमौर प्रशासन, यात्रा न्यास, पुलिस, वन विभाग और स्वयंसेवी संस्थाएं इस नई व्यवस्था को सफल बनाने के लिए एकजुट हैं। साथ ही लंगर आयोजकों से भी सहयोग की अपील की गई है कि वे पर्यावरण हित में इस निर्णय का सम्मान करें और यात्रियों की सेवा के लिए सहयोग करें।

कुलबीर सिंह राणा, एडीएम भरमौर के बोल

डल झील केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इसकी स्वच्छता और संरक्षण हमारा धर्म और दायित्व दोनों हैं। लंगर पूरी यात्रा में लगेंगे, लेकिन नए स्थानों पर इस तरह से स्थापित किए जाएंगे कि न तो पर्यावरण को क्षति पहुंचे और न ही श्रद्धालुओं को असुविधा हो। सभी विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि यात्रा सुरक्षित, स्वच्छ और भक्तिमय माहौल में संपन्न हो। 

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