‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, बाल ना बांका करि सके, जो जग बैरी होय’

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30 जून की रात सराज के संगलवाड़ा में बेजुबान को बचाने पहुंचे लोग; तब मलबे में फंसा दिखा बालक, मुंह में पानी-मिट्टी जाने से हो गया था बेहोश

हिमखबर डेस्क

‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, बाल ना बांका करि सके, जो जग बैरी होय’। यह कहावत 30 जून की काली रात को सत्य साबित हुई। जब मंडी जिला के सराज घाटी में तबाही आई, तब बाढ़ के रूप में आए जलजले में जहां कई जिंदगियां खत्म हो गई, वहीं आपदा के बीच संगलवाड़ा गांव का आठ वर्षीय बालक घंटों मलबे और बाढ़ में फंसा रहा।

इस दौरान उसके परिजन घंटों तक अपने बच्चे को इधर-उधर ढूंढते रहे, लेकिन किसी कोई पता नहीं लगा। इसी बीच बाढ़ में एक गाय बहती हुई कमरे की खिडक़ी में फंस गई, जिसे सुरक्षित निकालने के लिए परिजनों व ग्रामीणों ने कोशिश की। परिजनों ने जब कमरे के अंदर लाइट मारकर देखा, तो सभी दंग रह गए, क्योंकि बालक वहीं फंसा हुआ था।

परिजनों और ग्रामीणों ने तुरंत कमरे में प्रवेश किया और बड़ी मशक्कतके बाद बच्चे को मलबे से निकाला। परिजनों के अनुसार बच्चा मलबे के बीच डर के कारण बेहोश हो गया था। घटना के बारे में बच्चे की माता ब्रहपति ने बताया कि 30 जून की रात को बाढ़ ने सब-कुछ तबाह कर दिया।

उन्होंने बताया कि वह किसी कार्य के चलते आपदा वाले दिन नेरचौक गई थीं। घर में उसके पति हेतराम, बेटा और सास कुलमी देवी के अलावा अन्य परिजन थे। बच्चे के पिता हेतराम मूकबाधिर हैं, जो सुन व बोल नहीं सकते हैं। हालांकि वह भी बाढ़ के दौरान घायल हुए हैं।

बहरहाल प्रभावित परिवारों को प्रशासन व सामाजिक संगठनों द्वारा आर्थिक सहायता दी गई है, लेकिन आगामी समय प्रभावित कैसे गुजर करेंगे, यह बात सभी के लिए चिंतनीय बनी हुई है। गौर हो कि सराज में आई बाढ़ ने कई परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं। बाढ़ में कई लोगों को मौत हो गई और कई अभी भी लापता हैं।

डर के मारे कमरे में बेड पर कंबल ओढक़र बैठ गया था मासूम

आपदा के दिन बच्चे को उसकी दादी कुलमी देवी व अन्य परिजनों ने बताया कि पानी बहुत बढ़ रहा है। सभी दूसरी जगह चल पड़ते हंै। इसी बीच दादी ने बच्चे को आगे भेज दिया और मूकबाधिर बेटे हेतराम को कमरे से लाने चली गई, लेकिन बच्चा अपने चाचा-चाची के यहां जाने के बजाय, अपने कमरे में बेड पर बैठ गया।

करीब एक बजे संगलवाड़ा में दोनों तरफ से खड्डों का जलस्तर भयंकर हो गया और इसने दर्जनों मकानों के चपेट में ले लिया। इसी बीच कमरे में बैठे बच्चे के आसपास मलबा और पानी से भरने लगा। बच्चे ने बताया जैसे-जैसे मलबा कमरे में भरने लगा, तो उसपे डर के मारे कंबल गले तक ओढ़ लिया।

इसी बीच वह मलबे के साथ कमरे में गोल-गोल घूमने लगा। इस दौरान कुछ मलबा व पानी मुंह के अंदर भी चला गया। इसी बीच वह बेहोश हो गया और मलबे में फंस गया। तभी एक गाय को बचाने के लिए जैसे ही लोग कमरे की खिडक़ी के पास पहुंचे, तो उन्हें बच्चे का चेहरा मलबे के बीच दिखा। उन्होंने तुरंत बच्चे को सुरक्षित निकाला।

बच्चे की मां बोली

बच्चे की मां ब्रहपति ने बताया कि जब बेटे को बाहर निकाला गया, तो वह बेहोशी की हालत में था। उन्होंने बताया कि आपदा से उनका मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। मकाने के अंदर बड़े-बड़े पेड़ सहित मलबा घुसा है। चारों तरफ तबाही का मंजर था।

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