शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल के बिंदास अधिकारियों का डंका पूरे देश में बजता है और अब उसमें एक और गौरवशाली अध्याय जुड़ गया है। हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव खलेही के लाल ने लेफ्टिनेंट कर्नल का रैंक हासिल कर प्रदेश का मान बढ़ा दिया है। 1994 में असम राइफल्स में बतौर क्लर्क अपनी सेवाएं शुरू करने वाले रमेश चंद ने लेफ्टिनेंट कर्नल बनकर न केवल अपने जिले का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।
वर्तमान में लेफ्टिनेंट कर्नल रमेश चंद राजभवन ईटानगर में राज्यपाल के ए.डी.सी. (Aide-De-Camp) के पद पर कार्यरत हैं। 1 जुलाई 2025 को राजभवन ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक (सेवानिवृत्त) ने वरिष्ठ अधिकारियों और उनकी पत्नी गीता सिंह की उपस्थिति में मेजर रमेश चंद को लेफ्टिनेंट कर्नल (सेकेंड इन कमांड) के रैंक पर पदोन्नत किया।
मंडी जिले की जोगिंदरनगर तहसील के गांव खलेही में पिता स्वर्गीय सौंफी राम और माता प्रभी देवी के घर जन्मे लेफ्टिनेंट कर्नल रमेश चंद आठ भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। गांव की मिट्टी में पले-बढ़े रमेश बचपन से ही अनुशासन और मेहनत में विश्वास रखते थे।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला चौंतड़ा से प्राप्त की और बाद में असम राइफल्स में भर्ती होकर देश सेवा के पथ पर निकल पड़े। उन्होंने 1994 में असम राइफल्स में बतौर क्लर्क भर्ती होकर अपनी सेवा शुरू की थी। लेकिन मन में अफसर बनने की ठान ली थी।
2008 में उन्होंने पहले ही प्रयास में अफसर बनने की सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण की। जून 2010 में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून से कमीशंड अफसर बनकर देश की सेवा का सफर शुरू किया।
सेवा के दौरान ले. कर्नल रमेश चंद ने देश के कई अहम स्थानों पर और विदेश में यूनाइटेड मिशन के तहत महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। उनकी वीरता और उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और मेडल्स से सम्मानित भी किया गया है।
मार्च 2024 में वे अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के ए.डी.सी. के पद पर नियुक्त हुए। पदोन्नति के बाद भी वे इसी पद पर अपनी सेवाएं देते रहेंगे। उनकी इस सफलता से उनके गांव और जिले में खुशी की लहर है। लेफ्टिनेंट कर्नल रमेश चंद की पत्नी गृहिणी हैं, और उनकी दो बेटियां हैं, जो अपने पिता की इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
बातचीत में उन्होंने बताया कि परिवार के सहयोग के बिना यह मुकाम पाना आसान नहीं था। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, शिक्षकों और सेना के उन वरिष्ठ अधिकारियों को दिया है, जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया और सही मार्गदर्शन दिया।
लेफ्टिनेंट कर्नल रमेश चंद ने साबित कर दिया कि अगर सपना बड़ा हो और मेहनत सच्ची, तो किसी भी छोटे गांव से निकलकर भी दुनिया में अपनी पहचान बनाई जा सकती है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहें, बड़े सपने देखें और पूरे जुनून और आत्मविश्वास से उन्हें पूरा करें।