नौजवानों के देश में हिमाचल क्यों हो रहा बूढ़ा?

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हिमखबर डेस्क

तरक्की के पथ पर हिंदुस्तान लगातार आगे बढ़ रहा है और दुनिया की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। दुनिया भी भारत के झंडे को शिखर पर देख रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि भारत विश्व में उन देशों की अग्रणी सूची में शामिल हैं, जहां नौजवानों की संख्या अधिक है।

भारत की अधिकांश आबादी 35 वर्ष या इससे कम उम्र की है। वल्र्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट्स (डब्ल्यूपीपी) के मुताबिक भारत की कुल जनसंख्या (अनुमानित 145 करोड़) में 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष आयु के कम लोगों की है। यानी भारत युवाओं का देश है। इसी यूथ जेनेरेशन की बदौलत भारत दुनिया में लगातार तरक्की के रथ को हांकता जा रहा है।

हिमाचल के क्या हैं हाल

किसी भी राज्य की तरक्की उसकी जनसंख्या पर निर्भर करती है, लेकिन जनसंख्या में संतुलन होना बेहद जरूरी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, समाजिक कल्याण आदि कई कारक हैं, जो सेहतमंद और उन्नत राज्य की नींव रखते हैं। इसमें ज्यादातर हाथ युवाओं का होता है। क्योंकि कमाने की ऊर्जा युवा हाथों में ज्यादा होती है। वर्तमान में हिमाचल की जनसंख्या 78 लाख के करीब है, जिनमें से 12 लाख के करीब ऐसे वोटर हैं, जिनकी उम्र 18 से 29 वर्ष के बीच है।

हिमाचल के लिए सबसे ज्यादा चिंता

राज्य के विकास के लिए जन्म और मृत्यु दर में संतुलन होना बेहद आवश्यक है। अगर इसमें असंतुलन पैदा हो जाए, तो स्थिति गड़बड़ाने लगती है और हिमाचल के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट की मानें तो हिमाचल में प्रजनन दर में कमी आ रही है, जबकि मौतों का आंकड़ा सही है।

हिमाचल में इस वक्त प्रति महिला कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट) 1.70 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 2.1 प्रतिशत है। इन आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल जितनी मौतें हो रही हैं, उसके मुताबिक बच्चे पैदा नहीं हो रहे। अगर जन्म दर 2 प्रतिशत के आसपास होती, तो इस दर को मृत्य दर से सही माना जा सकता था, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। कुल प्रजनन दर का यह ग्राफ ऐसे ही गिरता चला गया, तो एक वक्त ऐसा आएगा कि हिमाचल में बच्चे या नौजवान नाममात्र ही होंगे और बुजुर्गों की संख्या ज्यादा होगी।

आखिर क्या हैं कारण

हिमाचल में प्रजनन दर में कमी आने के कई कारण हैं। एक तो नौजवानों के विवाह सही समय पर नहीं हो रहे हैं। देरी से शादी के कारण महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी आ रही है। दूसरा नवदंपति बच्चों को जन्म देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। तीसरा प्रदेश में कई ऐसे युवा हैं, जिनकी शादियां नहीं हो पा रही हैं।

आम देखा गया है कि 40 की उम्र होने के बाद भी कई लडक़े कुंवारे हैं, जिस कारण विवाह दर में भी कमी आ रही है। चौथा आजकल लडक़े और लड़कियां 28-30 की उम्र तक पढ़ाई कर रहे हैं। फिर सुनहरे भविष्य के लिए चिंतित हो रहे हैं। पढ़ाई के बाद उन्हें सेटल होने में वक्त लग रहा है, जिस कारण सही उम्र में उनकी शादी नहीं हो पा रही है। इसका असर भी प्रजनन दर पर पड़ रहा है। राज्य के विकास के लिए कुल प्रजनन दर में संतुलन होना बेहद जरूरी है।

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