हिमखबर डेस्क
भगवान शिव के जितने भी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं, वहां पर भोले बाबा आपको शिवलिंग स्वरूप में ही देखने को मिलेंगे। लेकिन छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर मौजूद है, जहां भोले बाबा साक्षात मूर्ति स्वरूप में कमलासन पर विराजमान हैं। इस मंदिर का नाम है महामृत्युंजय मंदिर।
महामृत्युंजय मंदिर की एक विशेषता तो यह है कि यहां भगवान शिव साक्षात मूर्ति स्वरूप में विराजमान हैं, लेकिन दूसरी विशेषता यह भी है कि भोले बाबा की यह मूर्ति दिन भर में पांच बार अपनी मुख मुद्राएं भी बदलती हैं। प्रशासन के अधीन आने वाले इस मंदिर पर बाकायदा इस बात का लिखित तौर पर दावा किया गया है। मूर्ति के इस बदलाव को एक नहीं अनेकों भक्तों ने महसूस किया है।
मंदिर के पुजारी दीपक शर्मा ने मंदिर की विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि अधिकतर लोगों में इस बात को लेकर भ्रम होता है कि मंदिर के पुजारी मूर्ति की मुख मुद्राओं को बदलते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दिन भर में यह मूर्ति पांच बार अपनी मुख मुद्राओं को स्वयं बदलती है।
कभी यह मूर्ति प्रसन्नचित मुद्रा में दिखती है तो कभी क्रोधित। कभी गंभीर मुद्रा में नजर आती है तो कभी तेज और मायामयी से भरी हुई। मूर्ति की मुख मुद्राओं के परिवर्तन को भांपने के लिए यहां दिन भर एकाग्र मन से बैठकर ध्यान लगाना पड़ता है। बहुत से ऐसे शिव भक्त हैं जो कई बार यहां एकाग्र मन से बैठकर भगवान की मूर्ति के बदलते स्वरूपों का आभास कर चुके हैं।
शिव भक्त श्याम लाल शर्मा, शालू और भाग सिंह ने बताया कि उन्होंने मंदिर की इस मान्यता के बारे में सुना भी है और खुद महसूस भी किया है। भगवान शिव के इस मंदिर में आकर एक अगल अनुभूति का अहसास होता है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
बता दें कि प्राचीन महामृत्युंजय मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में मंडी के तत्कालीन दो राजाओं द्वारा करवाया गया था। भगवान शिव के महामृत्युंज्य स्वरूप को अकाल मृत्यु, रोग पीड़ा, दुर्घटना और व्याधि आदि से निजात दिलाने वाला माना गया है। यह ऐतिहासिक मंदिर पूरी तरह से प्रशासन के अधीन है और यहां की सारी व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा ही देखी जाती हैं।