बहु नहीं सह पाई सास की मौत का सदमा, एक साथ जली चिता
बद्दी – रजनीश ठाकुर
सिनेमा में ‘सासु जी तूने मेरी कदर न जानी’ या फिर हरियाणवी गीत ‘सासु लड़ मत, लड़ मत न्यारी कर दे’…जैसे लोकगीतों से भी सास-बहू की अनबन जगजाहिर है। कई बार यह रिश्ता इतना कड़वाहट भरा होता है कि हिंसा भी होती है। ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जिसमें सास-बहू की नहीं बनती दिखेगी। लेकिन यहां एक अलग मिसाल सामने आई है। बहू अपनी सास के निधन के सदमे को सहन नहीं कर पाई और वह भी संसार से साथ ही अलविदा हो गई।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जनपद के बद्दी तहसील के तहत आने वाले गांव सौड़ी में एक बेहद मर्मस्पर्शी घटना घटी, जिसने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। 57 वर्षीय सास सावित्री देवी की अचानक तबीयत खराब होने के बाद, उनकी मौत हो गई। लेकिन दुखद घटना ने और भी गंभीर मोड़ तब लिया जब सास की मौत का सदमा बहू नीरज देवी मीना (27) पत्नी राम गोपाल सहन नहीं कर पाई और उसने भी दम तोड़ दिया। गांव के साथ लगते श्मशान घाट में दोनों की चिताएं एक साथ जलाई गईं।
जानकारी के अनुसार सास की तबीयत अचानक खराब हुई। परिवार वाले उन्हें फौरन स्थानीय चिकित्सक के पास ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस खबर ने परिवार को गहरे शोक में डाल दिया। सास का शव लेकर जब परिजन घर पहुंचे, तो यह दृश्य देखकर बहू बेसुध हो गई।
बहू को भी तुरंत नालागढ़ अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बरोटीवाला थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आवश्यक कार्रवाई की। शवों का पोस्टमार्टम करवा कर उन्हें परिजनों के हवाले कर दिया गया।
सीपीएस चौधरी राम कुमार ने परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं। यह घटना हमें जीवन की नश्वरता और एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान की महत्ता को याद दिलाती है। ऐसे कठिन समय में, समाज और परिवार के समर्थन का महत्व अत्यधिक होता है। इस घटना ने यह भी दिखाया कि जीवन में अचानक आने वाले बदलावों का सामना कैसे करना चाहिए और परिवार की एकता और सहयोग की महत्ता क्या होती है।