हिमखबर डेस्क
जम्मू के कठुआ से रविवार को एक चालक रहित 53 वैगन वाली मालगाड़ी चलने के मामले में फिरोजपुर के डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) संजय साहू ने उच्चस्तरीय की जांच के आदेश के बाद कठुआ स्टेशन के छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इनमें स्टेशन अधीक्षक, लोको पायलट, सहायक पायलट, प्वाइंट्समैन और टीआरआई शामिल हैं।
डीआरएम साहू ने कहा कि चालक रहित मालगाड़ी के चलने के दौरान हालांकि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है और घटना सुबह 7.25 से नौ बजे के बीच हुई थी। जम्मू से पंजाब के लिए चिप पत्थर लेकर जा रही लोको पायलट बदलने के लिए कठुआ में रुकी थी।
कुछ मिनटों के बाद, यह जम्मू-जालंधर ट्रैक पर ढलान सरकने लगी, जबकि नए पायलट और सह-पायलट अभी तक ट्रेन में नहीं थे। ऊंची बस्सी में रुकने से पहले मालगाड़ी ने करीब 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 78 किलोमीटर की दूरी तय की, जहां उसका गार्ड भी गायब पाया गया।
जब ट्रेन पंजाब के होशियारपुर जिले के उच्ची बस्सी गांव पहुंची, तो इसकी गति धीमी पड़ गई और रुक गई। रेलगाड़ी को मुक्त मार्ग देने के लिए खंड के सभी स्टेशनों को सतर्क कर दिया गया था।
डीआरएम साहू ने कहा कि जांच से घटना का कारण पता चलेगा, लेकिन छह निलंबित अधिकारियों के खिलाफ सोमवार से उच्चस्तरीय प्रशासनिक जांच शुरू होगी। जब कोई ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकती है तो उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसके पहियों के नीचे लकड़ी की कीलें लगा दी जाती हैं।
हॉलीवुड फिल्म ‘अनस्टॉपेबल’ की तरह कठुआ से रफ्तार पकड़ने के बाद मालगाड़ी करीब दो घंटे तक ट्रैक पर बेलगाम दौड़ती रही और लगभग 80 किलोमीटर दूर पंजाब के होशियारपुर के ऊंची बस्सी में इसे रोका जा सका।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ढलान होने से मालगाड़ी अपने आप चलती रही और रफ्तार पकड़ ली। हालांकि मामला तूल पकड़ने के बाद रेलवे ने जांच के निर्देश दिए हैं। लोको पायलट ने मालगाड़ी को कठुआ रेलवे स्टेशन पर रोका और चाय पीने चला गया।
करीब 7:10 बजे अचानक मालगाड़ी सरकने लगी। इससे पहले कि रेलवे स्टाफ ट्रेन को गुटके वगैरह लगाकर रोकने का प्रयास करता, ढलान होने के कारण मालगाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली। फिर रेलवे स्टाफ ने आनन-फानन में अगले सभी स्टेशनों को अलर्ट किया और रेलवे क्रासिंग बंद करवा दीं।
लखनपुर, माधोपुर, सुजानपुर से पठानकोट स्टेशन मास्टर को लाइन साफ करने का आदेश जारी हो गया। ऐसे में मालगाड़ी सभी स्टेशनों पर बिना रुकावट दौड़ती गई। बीच-बीच में स्टाफ ने लकड़ी के गुटके और पत्थर डालकर मालगाड़ी की गति नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं रुकी।
होशियारपुर के ऊंची बस्सी स्टेशन के पास ट्रैक की ऊंचाई चढ़ाई होने से मालगाड़ी की गति कम हुई और उसे गुटके और पत्थर लगाकर रोक लिया गया। इस घटना से वंदे भारत सहित करीब छह ट्रेनें देरी से चलीं। गनीमत रही कि कोई ट्रेन उस ट्रैक पर नहीं थी, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।