मंडी – अजय सूर्या
अक्सर आप मतदान करने के बाद अंगुलियों पर लगी इंक के साथ सेल्फी या फोटो लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं, लेकिन ये इंक कितनी घातक हो सकती है। इसकी बानगी देखने को मिली है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का यह मामला है। जहां पर इस इंक के बाद हुए इन्फेंक्शन के चलते एक युवक को अपने हाथ की दोनों अगुंलियां गंवानी पड़ी।
पीजीआई चंडीगढ़ में युवक की दोनों अंगुलियों को काटा गया है, हालांकि, इससे पहले चुनाव आयोग की तरफ से इस इंक के इस्तेमाल को पूरी तरह से सेफ बताया गया है, लेकिन युवक को इंक लगाने के बाद ही इन्फेक्शन हुआ था।
जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की धर्मपुर तहसील का यह मामला है। यहां पर उपमंडल की लंगेहड़ (बरोटी) पंचायत के 40 साल के संजय कुमार को मतदान के दौरान लगाई जाने वाली इंडेलीबल वोटर इंक से अपनी अंगुलियां गंवानी पड़ी।
बीते साल नवंबर 2022 में हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस दौरान संजय ने भी वोट डाला। मतदान के पंद्रह दिन बाद उंगली में दर्द और कालापन आने लगा। इस पर वह डॉक्टरों के पास पहुंचा और संजय कुमार को बताया गया कि अगर उंगली नहीं काटी तो इंफेक्शन जानलेवा हो सकता है।
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के लंगेहड़ गांव के संजय कुमार (40) की बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में इंडेलीबल इंक लगाई गई। उसके पंद्रह दिन बाद उसमें जख्म बनना आरंभ हुआ और उंगली के आगे वाले हिस्से में काला निशान पड़ गया।
दिसंबर में संजय ने पीजीआई चंडीगढ़ में चेकअप कराया। यहां पर करीब दो माह उपचार चला और फिर उसकी तर्जनी उंगली आगे से काट दी गई। इंफेक्शन की ग्रोथ जांचने के लिए जख्म को खुला छोड़ा गया, लेकिन बाद में इंफेक्शन बढ़ा तो तर्जनी के साथ साथ अनामिका को काट दिया गया।
मनरेगा से पलता है संजय का परिवार
लंगेहड़ पंचायत के प्रधान संजय ठाकुर ने बताया कि संजय कुमार गरीब परिवार से है। बीपीएल में वह और उसका परिवार है। परिवार का गुजर-बसर मनरेगा की वजह से होता है। प्रशासन को इसे अपंगता प्रमाण पत्र देने के साथ साथ श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से उचित आर्थिक सहायता देनी चाहिए।
क्या हुआ क्यों काटना पड़ी अंगुलियां
सरकाघाट के सिविल अस्पताल में एसएमओ डॉक्टर देश राज शर्मा बताते हैं कि मरीज के लक्षण रेनॉल्ड्स फिनोमिना या थ्रोबोएंजाइटिस ओबलिट्रान्स में मिलते हैं। इंडेलीबल इंक में सिल्वर नाइट्रेट,डाई और कुछ अन्य केमिकल होते हैं। बता दें कि इस इंक का इस्तेमाल 1960 से देश में चुनावों के दौरान हो रहा है।