बिलासपुर की अतिरिक्त उपायुक्त डॉक्टर निधि पटेल ने जिले की आलाधिकारी होने के बावजूद अपनी ढाई साल की जुड़वां बेटियों को क्रेच में भेजने की बजाय आंगनबाड़ी केंद्र चंगर में दाखिला करवाया है।
बिलासपुर – सुभाष चंदेल
व्यवस्था को बदलने की बात तो हर कोई कागजों और भाषणों में करता है, लेकिन उसको सही मायनों में बदलने के लिए उसमें भागीदारी कर ही सुधारा जा सकता है। ऐसी ही एक मिसाल बिलासपुर की अतिरिक्त उपायुक्त डॉक्टर निधि पटेल ने पेश की है।
डॉक्टर पटेल ने जिले की आलाधिकारी होने के बावजूद अपनी ढाई साल की जुड़वां बेटियों को क्रेच में भेजने की बजाय आंगनबाड़ी केंद्र चंगर में दाखिला करवाया है।
एडीसी ने कहा कि किसी भी संस्थान और क्षेत्र में अगर बदलाव करना है, उसकी दशा और दिशा को सुधारना है तो सबसे पहले अपनी भागीदारी वहां सुनिश्चित करें। जब आप खुद उसका हिस्सा होंगे तो उसके सुधार के लिए और ज्यादा जिम्मेदारी से काम करेंगे।
बेटियों के दाखिले के बाद आंगनबाड़ी केंद्र की बदली सूरत, बच्चे भी बढ़े छह माह पहले जब एडीसी ने बेटियों को आंगनबाड़ी केंद्र में छोड़ा तो वहां की हालत ठीक नहीं थी। उसको देखकर भी उन्होंने फैसला नहीं बदला और वहीं दाखिला कराया।
इसके बाद अभिभावक के तौर पर प्रबंधन को केंद्र में बच्चों को सुविधाएं देने का सुझाव दिया। परिणाम यह हुआ कि छह माह में ही केंद्र की तस्वीर बदल गई। आज शहर के आैर अभिभावक भी बच्चों को उस केंद्र में भेज रहे हैं।
बबली, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, चंगर के बोल
अतिरिक्त उपायुक्त के सहयोग से केंद्र में कराई जा रही गतिविधियों में बढ़त हुई है। उनकी ढाई साल की दो जुड़वा बेटियां ऐवा, जीवा उनके केंद्र में छह माह से आधारभूत शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। केंद्र में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई करवाई जा रही है।
डॉ. निधि पटेल, अतिरिक्त उपायुक्त, बिलासपुर के बोल
हर नागरिक चाहे वह अधिकारी हो, कर्मचारी हो या आम जन, सभी को चाहिए कि वह सरकारी योजनाओं का अर्थ जाने। निजी संस्थानों को प्राथमिकता देने से पहले सरकारी का महत्व समझें। ये सभी संस्थान सरकार के नहीं, बल्कि जनता की ही संपत्ति हैं।