

शहीद के ताबूत से तिरंगा हटाया गया और उसे सम्मानपूर्वक पत्नी बिंदु को सौंपा गया तो बिंदु तिरंगे को सीने से लगाकर रोते हुए कह रही थीं कि शहीद अरविंद का यह सबसे महंगा और अंतिम तोहफा है। इसे वह जीवन भर साथ रखेंगी। देश की रक्षा में शहादत किसी को ही नसीब होती है।

बिंदु के कंधों पर आई दो नन्हीं बेटियों और बूढ़े सास-ससुर की जिम्मेदारी-

दो नन्हीं बेटियों की परवरिश का भी जिम्मा है। बूढ़े और बीमार सास-ससुर का भी सहारा बनना है। बीते दो दिन से भूखे-प्यासी फफक-फफक कर रोती शहीद की पत्नी और माता ने श्मशानघाट पर मौजूद लोगों को भी बिलखने पर मजबूर कर दिया। आसपास के गांवों की सैकड़ों महिलाएं भी शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुईं।