5 महीने से सैलरी नहीं, अब उधार भी बंद – रोजगार सेवकों की जेब खाली, सरकार से दो-टूक बोले, “या वेतन दो या काम बंद समझो!

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5 महीने से सैलरी नहीं, अब उधार भी बंद – रोजगार सेवकों की जेब खाली, सरकार से दो-टूक बोले, “या वेतन दो या काम बंद समझो!”

स्वारघाट – सुभाष चंदेल

मनरेगा का सारा काम कंधों पर, लेकिन जेबें खाली! ब्लॉक स्वारघाट के ग्राम रोजगार सेवकों, कनिष्ठ अभियंताओं और कंप्यूटर ऑपरेटरों की हालत इन दिनों ऐसी हो गई है कि रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। वजह? पिछले पांच महीनों से एक फूटी कौड़ी भी वेतन नहीं मिला!

थक-हार कर शुक्रवार को ग्राम रोजगार सेवक संघ ब्लॉक स्वारघाट के पदाधिकारी खंड विकास अधिकारी के पास पहुंचे और सरकार के नाम एक करारा ज्ञापन सौंपा। उनका साफ संदेश – “अब और नहीं! या तो सैलरी दो, या मनरेगा का काम ठप समझो!”

संघ के अध्यक्ष शिवकुमार धीमान, सचिव पिरथी सिंह और साथी पूनम, मनोज, अजीत कुमार ने मीडिया के सामने अपना दर्द कुछ यूं बयां किया –

“हर महीने की पहली तारीख को जब घर में राशन और बच्चों की फीस का सवाल उठता है, तब जेब में कुछ नहीं होता। उधार लेकर अब तक काम चलाया, लेकिन अब दुकानदारों ने भी मना कर दिया है। रसोई ठंडी पड़ी है, बच्चों के स्कूल की फीस बाकी है, और सरकार बेखबर है!”

शिवकुमार ने बताया कि एक-एक ग्राम रोजगार सेवक 6-6 पंचायतों का बोझ उठाए घूम रहा है। “काम पूरा टाइम पर करो, लेकिन सैलरी? वो मिलती है किस्मत से!” उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है – हर दूसरे-तीसरे महीने यही हाल हो जाता है।

हड़ताल की धमकी देते हुए उन्होंने दो टूक कहा – “अगर अबकी बार भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो हमें मजबूरी में हड़ताल करनी पड़ेगी। मनरेगा के सारे काम ठप कर दिए जाएंगे।”

इस संकट में सिर्फ रोजगार सेवक नहीं, बल्कि कनिष्ठ अभियंता और कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल हैं, जिन्हें भी पिछले पांच महीनों से वेतन नहीं मिला है।

अब देखना ये है कि सरकार इन मेहनतकशों की सुध लेती है या फिर इन्हें अपनी रोज़ी-रोटी के लिए सड़कों पर उतरने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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