--Advertisement--

पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए पिंड दान जरूरी, ज्वाली के ज्योतिषी आचार्य अमित कुमार शर्मा ने दी जानकारी

----Advertisement----

ज्वाली – अनिल छांगु

पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इसे पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। अपने पूर्वजों की शांति के लिए पिंड दान और तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष 16 दिन तक चलता है। अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है।

ज्वाली के ज्योतिषी आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया कि इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है और 14 अक्तूबर तक पितृ पक्ष चलेगा। पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से होता है और यह हर साल अश्विन मास तक चलता है। इसे सर्व पितृ अमावस्या और महालय अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस पक्ष में पितर स्वर्ग लोक से नीचे आते हैं।

उपाय

ज्योतिषी आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया कि अगर कारणवश पितरों के निधन की तिथि पता नहीं है तो ऐसे में आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनके नाम से श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सभी के नाम से श्राद्ध किया जाता है।

श्राद्ध की सभी तिथियां:

पूर्णिमा प्रतिपदा का श्राद्ध-29 सितंबर, द्वितीया तिथि का श्राद्ध-30 को, तृतीया तिथि का श्राद्ध-पहली को, चतुर्थी तिथि श्राद्ध-दो अक्तूबर, पंचमी तिथि श्राद्ध-तीन को, षष्ठी तिथि का श्राद्ध-चार को, सप्तमी तिथि का श्राद्ध-पांच को, अष्टमी तिथि का श्राद्ध -छह को, नवमी तिथि का श्राद्ध-सात को, दशमी तिथि का श्राद्ध -आठ को, एकादशी तिथि का श्राद्ध-नौ को, मघा तिथि का श्राद्ध-दस को, द्वादशी तिथि का श्राद्ध -11 को, त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध-12 को, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध-13 को, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तिथि का श्राद्ध-14 अक्तूबर।

श्राद्ध मनाने की कथा:

किवंदत है कि श्राद्ध मनाने की प्रथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। महाभारत के दौरान कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे। उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया।

तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया। तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सके।

इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया, तर्पण किया, इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया।

--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here