शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू किए जाने के बावजूद अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) पर विचार शुरू हो गया है। जानकारी अनुसार प्रशासनिक स्तर पर इस प्रस्ताव की समीक्षा की जा रही है और इसे जल्द ही कैबिनेट बैठक में चर्चा के लिए पेश किए जाने की संभावना है। सरकार यह आकलन कर रही है कि यूपीएस लागू करने से कर्मचारियों और प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर क्या असर पड़ेगा।
ओपीएस लागू, लेकिन निगमों और बोर्डों में अधर में
प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद ओपीएस बहाल करने का वादा पूरा किया था, जो उसके चुनावी घोषणा पत्र की प्राथमिक गारंटी थी। बीते दो वर्षों में 700 से अधिक कर्मचारी ओपीएस का लाभ ले चुके हैं। हालांकि अभी तक विभिन्न बोर्डों और निगमों में इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया जा सका है। इसी बीच केंद्र सरकार ने हिमाचल को यूपीएस लागू करने का सुझाव देते हुए पत्र भेजा है, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यूपीएस लागू करने से हिमाचल को मिल सकती है वित्तीय सहायता
यूनिफाइड पेंशन स्कीम केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एक योजना है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि और अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन का प्रावधान है। यदि हिमाचल सरकार इसे अपनाती है तो राज्य को केंद्र से सालाना 1600 करोड़ रुपए की विशेष वित्तीय सहायता मिल सकती है।
वर्तमान में हिमाचल सरकार ओपीएस लागू करने के चलते वित्तीय संकट का सामना कर रही है। जानकारों के मुताबिक यूपीएस लागू करने से पेंशन पर होने वाले भारी खर्च को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही केंद्र से मिलने वाली आर्थिक सहायता से राज्य के विकास कार्यों को गति देने में भी मदद मिल सकती है।
इस बीच पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के हितों और प्रदेश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर पेंशन योजना पर निर्णय लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जब ओपीएस लागू की गई थी, तब यूपीएस अस्तित्व में नहीं थी। अब केंद्र सरकार ने यह विकल्प दिया है। इसलिए इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
हिमाचल को केंद्र से 9000 करोड़ की राशि का इंतजार
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से अपने 9000 करोड़ रुपए अब तक नहीं मिले हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कई बार इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठा चुके हैं। कर्मचारी संगठनों ने भी केंद्र से इस राशि की मांग की है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार इस पूरे मामले में कर्मचारियों के हितों और प्रदेश की आर्थिक स्थिति को संतुलित करने के प्रयास में जुटी है। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा। इस चर्चा के बाद ही तय होगा कि हिमाचल सरकार ओपीएस को जारी रखेगी या फिर केंद्र की यूपीएस योजना को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी।
कर्मचारी महासंघ ने यूपीएस को किया खारिज
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी महासंघ ने यूपीएस को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और ओपीएस को बरकरार रखने की मांग की है। महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर (प्रदीप गुट) ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार ओपीएस को बदलने की कोशिश करती है, तो कर्मचारी इसका कड़ा विरोध करेंगे। महासंघ का तर्क है कि कर्मचारियों ने लंबे संघर्ष के बाद ओपीएस बहाल करवाई थी, ऐसे में किसी नई योजना को लागू करने की आवश्यकता नहीं है।