शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश पुलिस में 10 आईपीएस अधिकारियों सहित 152 पुलिस कर्मचारियों को डीजीपी डिस्क अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इसमें तीन पुलिस जिला नूरपुर, बद्दी और लाहौल स्पीति के तेज तर्रार पुलिस पुलिस अधीक्षक भी शामिल है।
तीनों अधिकारियों को अपने-अपने जिला में उत्कृष्ट कार्यों के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है। अहम बात ये है कि तीनो ही दबंग पुलिस अधिकारी यूपी से संबंध रखते हैं और हिमाचल पुलिस महकमे में शानदार भूमिका निभा रहे हैं।
IPS इल्मा अफरोज
पहला नाम है, बद्दी की दबंग महिला पुलिस कप्तान IPS इल्मा अफरोज। खास बात यह है कि साधारण किसान परिवार की बेटी इल्मा अफरोज की पुलिस जिला बद्दी में बतौर पुलिस अधीक्षक यह पहली तैनाती है। 2018 बैच की आईपीएस अधिकारी को बतौर पुलिस अधीक्षक पहले ही कार्यकाल में यह अवार्ड मिलने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे से निकलकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क तक पहुंचने वाली इल्मा अफरोज ने विदेश में शानदार नौकरी का ऑफर ठुकरा कर देश सेवा चुनी।
पढ़ाई के बाद न्यूयॉर्क में उन्हें एक बड़ी कंपनी से नौकरी का ऑफर मिला था, लेकिन इल्मा ने यूपीएससी का सपना देख लिया था। 2017 में 217वीं रैंक से परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा को चुना। आईपीएस इल्मा अफरोज ने 14 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था।
कैंसर की बीमारी के कारण अब्बा का निधन हो गया। परिवार की जिम्मेदारी अम्मी पर आ पड़ी। 14 साल की इल्मा पर भी मां के साथ खेतों में काम करने की नौबत आ गई थी। गांव के ही एक बुजुर्ग ने जब पाया कि इल्मा होनहार बच्ची है तो उन्होंने भी उसे पढ़ाने के लिए कुछ खर्चा उठाने का फैसला लिया था।
IPS मयंक चौधरी
दूसरा नाम है लाहौल स्पीति के पुलिस अधीक्षक आईपीएस मयंक चौधरी। मयंक चौधरी 2019 बैच के आईपीएस अफसर हैं। उनकी भी बतौर एसपी यह पहली तैनाती है। मयंक चौधरी ने का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली से आने वाले मयंक की प्रारंभिक शिक्षा भी लखनऊ से हुई।
कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद, उन्होंने कुछ समय तक इलाहाबाद बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में काम किया। हालांकि, उनके अंदर बचपन से ही पुलिस अफसर बनने की इच्छा थी, जिसे उन्होंने फिल्मों में पुलिस की भूमिकाओं को देखकर सार्थक करने का निर्णय लिया था। सपने को पूरा करने के लिए 2015 में बैंक की नौकरी छोड़ दी। UPSC की तैयारी में जुट गए।
पहले प्रयास में मयंक सफल नहीं हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर 482 वां रैंक हासिल किया। हिमाचल प्रदेश कैडर में नियुक्ति मिली। इससे पहले वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे। जनजातीय जिला में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद आईपीएस मयंक चौधरी का कार्य किसी मिसाल से कम नहीं।
IPS अशोक रत्न
तीसरा नाम है 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक रत्न। वर्तमान में नूरपुर और हिमाचल के नव अधिसूचित 15वें पुलिस जिले देहरा का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे है। आईपीएस अशोक रत्न यूपी के मेरठ से संबंध रखते हैं। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी वाराणसी से शिक्षित तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी अशोक रत्न ने 2017 में आईपीएस अधिकारी बने।
हिमाचल में भुंतर पुलिस थाने में अपना प्रोबेशन पीरियड पूरा किया। इसके बाद उनकी पहली स्वतंत्र तैनाती बतौर डीएसपी नूरपुर में हुई। इसके बाद उन्हें किन्नौर जिला में एसपी नियुक्ति मिली थी। बाद में उन्हें हिमाचल के 14वें पुलिस जिला को स्थापित करने की जिम्मेदारी मिली।
अशोक रत्न नूरपुर के पहले पुलिस अधीक्षक बने। उन्होंने अपनी शानदार कार्यशैली से न केवल पुलिस जिला नूरपुर को स्थापित किया बल्कि नशा तस्करों और क्रिमिनल्स के लिए खौफ बनकर सामने आए। अपने कार्यकाल के दौरान कई हत्याओं की वारदातों को सुलझाया। नशे के रोकथाम पर भी उनकी बेहतरीन कार्यशैली रही। आईपीएस अशोक रत्न को नव अधिसूचित पुलिस जिला देहरा का भी अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।