शिमला – नितिश पठानियां
केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को मनरेगा में झटका दिया है। पहले राज्य सरकार को कार्यदिवस घटाने को कहा और अब बजट रोक दिया गया है।
इससे कई पंचायतों में मनरेगा का काम ठप हो गया है। नए कार्यों को बजट के अभाव में शुरू ही नहीं किया जा रहा और जो पुराने काम हैं, उनका भी भुगतान अटका हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के तहत कई प्रकार के कार्य हो रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से जल संरक्षण, सूखा राहत, ग्रामीण संपर्क, वनीकरण, बाढ़ नियंत्रण आदि शामिल हैं।
इसके अलावा यह योजना ग्रामीण विकास, पर्यावरण की रक्षा, ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने, ग्रामीण और शहरी प्रवास को कम करने में भी मदद कर रही है।
हिमाचल प्रदेश सरकार को पिछले वित्त वर्ष में 397 लाख कार्यदिवस मिले थे। इस वित्त वर्ष में 407 लाख कार्यदिवस का प्रस्ताव दिया गया था तो केंद्र ने कहा कि इन्हें घटाकर 250 लाख किया जाए। करोड़ों रुपये केंद्र सरकार के पास लंबित हैं, जो मनरेगा की दिहाड़ी और मैटीरियल कंपोनेंट दोनों के ही हैं।
मनरेगा की वेबसाइट के आंकड़ों ही इस बात को दर्शा रहे हैं कि मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 5177 कार्य मंजूर पड़े हैं। नए कार्य 904 मंजूर किए गए हैं। इन पर पर अभी तक कोई व्यय नहीं किया जा सका है।
इनमें से 229 कार्य चल रहे हैं। इन पर 69.89 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। यानी कुल 6311 कार्य किए जा रहे हैं। इनमें 70.16 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में मनरेगा की स्थिति
- जॉब कार्ड की कुल संख्या 15.53 लाख
- कुल कामगारों की संख्या 28.86 लाख
- एक्टिव जॉब कार्ड 9.23 लाख
- सक्रिय कामगार 13.69 लाख
- मनरेगा की दिहाड़ी 232.38 रुपये
- ऐसी पंचायतें जिन्होंने एक भी पैसा नहीं खर्च किया 26
- मनरेगा का काम कर रहीं ग्राम पंचायतें 3,616
अनिरुद्ध सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, हिमाचल प्रदेश के बोल
केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट में कटौती है। कार्यदिवस घटाना और वांछित बजट जारी नहीं करना उचित नहीं है। यह लोगों के साथ धोखा है।