हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- मृतक पर आश्रित न होने पर मुआवजे का हक नहीं, जानें पूरा मामला

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शिमला – नितिश पठानियां

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण से संबंधित अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि मुआवजे का हक सिर्फ उन्हीं लोगों को है, जो मृतक पर वास्तविक रूप से आश्रित थे। अदालत ने मृतक टीकम राम की मां के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे से वंचित करते हुए कहा कि वे मृतक पर आश्रित नहीं थे, इसलिए उन्हें इसका अधिकार नहीं मिल सकता।

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की अदालत ने यह फैसला उमेश कुमार एवं अन्य बनाम लीला देवी एवं अन्य मामले में सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मृतक की मां नीम देवी के निधन के बाद उनके बेटे सूरत राम और पोती बबीता ने मुआवजे में हिस्सा मांगा था, लेकिन वे टीकम राम पर निर्भर नहीं थे। इसके चलते नीम देवी का 15 फीसदी हिस्सा भी अब जीवित आश्रितों मृतक की पत्नी और बच्चों के बीच बांटा जाएगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में टीकम राम की मोटर दुर्घटना में मौत के बाद यह दावा दायर किया गया था। फैसले से पहले 1 जनवरी 2024 को नीम देवी का निधन हो गया। इसके बाद उनके कानूनी वारिसों ने उनके हिस्से की राशि की मांग की। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में मुआवजा आश्रित के व्यक्तिगत अधिकार पर आधारित होता है और मुआवजे की राशि अन्य जीवित दावेदारों को ही दी जाएगी, खासकर जब अंतिम निर्णय अभी पारित नहीं हुआ हो।

अदालत ने अपने निर्णय में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2) का भी उल्लेख किया और यह भी कहा कि संपत्ति उसी स्रोत की ओर लौटती है जहां से वह आई थी। अदालत ने इस आधार पर भी याचिका खारिज कर दी कि मुआवजे की राशि मृतक की मां के आश्रित न होने वाले उत्तराधिकारियों को नहीं दी जा सकती।

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