हिमखबर- डेस्क
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम कर रहे कई मजूदरों को मनरेगा की दिहाड़ी नहीं मिली है। कई मजदूरों को छह से, तो कहीं पर चार महीने से मजूदरों को मनरेगा की दिहाड़ी नहीं मिली है। ऐसे में मजदूरों को जीवनयापन करना मुशिकल हो गया है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, कुल्लू साहित अन्य जिलों में मजदूरों को दिहाड़ी न मिलने के मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश में मेहनत से मजदूरी करने वाले दिहाड़ीदारों को काम करने के बावजूद पेमेंट नहीं मिल रही है। मनरेगा में दिहाड़ी लगा चुके लोगों को पिछले छह माह की पेमेंट भी नहीं मिली है।
वहीं, अब पंचायतों में सीमेंट की आपूर्ति न होने से सभी काम ठप पड़े हुए हैं। प्रदेश की सभी पंचायतों में यह समस्या बनी हुई है। कई लोगों को अपना घर चलाना भी मुश्किल हो गया है, वहीं अब सीमेंट की आपूर्ति रुकने और काम न होने से दिहाड़ीदारों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
प्रशासन से बार-बार मांग करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। विकास खंड धर्मशाला की 27 पंचायतों में करीब 5500 लोग मनरेगा में दिहाड़ी लगाते हैं, लेकिन काम करने के बावजूद दिहाड़ी लगाने के बावजूद उन्हें पेमेंट नहीं मिल रही है।
इन पंचायतों में बाघली, गगल, मंदल, झियोल, टंग नरवाणा, तंगरोटी, चैतड़ू, पासु, दुरगेला और ठारू समेत 27 पंचायतें शामिल हैं। कई लोगों को अपना घर चलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इन लोगों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। पिछले करीब छह माह से मनरेगा के तहत काम कर चुके लोगों को उनकी पेमेंट नहीं मिली है।
धर्मशाला ब्लॉक के प्रधान-उपप्रधान संगठन के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि पंचायतों में सीमेंट की आपूर्ति पिछले कई महीनों से रुकी हुई है। इस वजह से कोई भी नए काम नहीं हो पा रहे हैं। वहीं, जो काम हुए भी हैं, उसकी भी पेमेंट लोगों को नहीं मिल रही है।
विकास कार्यों के लिए सीमेंट की आपूर्ति भी नहीं
पंचायतों में सीमेंट की आपूर्ति न होने से सभी काम ठप पड़े हुए हैं। प्रदेश की सभी पंचायतों में यह समस्या बनी हुई है। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लंबे समय के बाद भी दिहाड़ीदारों को मजदूरी नहीं मिल रही है।
ऐसे में कई लोगों को अपना घर चलाना भी मुश्किल हो गया है, वहीं अब सीमेंट की आपूर्ति रुकने से और काम न होने से दिहाड़ीदारों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन से बार-बार मंाग करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।