चार दिन से स्कूल नहीं आ रहे हैं बच्चे, 21 बच्चों के लिए केवल 1 ही अध्यापक, बच्चों को लेकर स्कूल के गेट से ही लौट गए अभिभावक
बिलासपुर – सुभाष चंदेल
जिला चंबा के बाद बिलासपुर के शिक्षा खंड श्रीनयनादेवी के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला अपर दबट में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। चार दिन से लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक स्कूल में दो स्थायी शिक्षकों की तैनाती नहीं हो जाती, तब तक वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
जानकारी के मुताबिक दबट स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक 21 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इन 21 बच्चों के लिए विभाग ने सिर्फ एक ही शिक्षक तैनात किया है। यही शिक्षक पांचों कक्षाओं को पढ़ाता है और कार्यालय के काम भी करता है। शुक्रवार को भी अभिभावक अपने बच्चों के साथ स्कूल आए थे और शिक्षा विभाग की ओर से नए शिक्षक की तैनाती के आदेश को लेकर बातचीत करके वापस चले गए।
बड़ी बात यह है कि 12 दिसंबर को बच्चों का असेस्मेंट का पेपर था, जोकि उन्होंने नहीं दिया। अभिभावकों ने साफ कहा है कि कि जल्द शिक्षक की तैनाती न हुई तो वे अपने बच्चों को स्कूल से निकलवा लेंगे। स्कूल में तैनात शिक्षक एवं प्रभारी नसीब सिंह ने कहा कि हमने घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह किया, लेकिन शुक्रवार को अभिभावक बच्चों के साथ आए थे, लेकिन बिना हाजिरी लगाए गेट से वापस लौट गए।
क्या कहती है एसएमसी व अभिभावक
एसएमसी की प्रधान किरण देवी व सदस्यों एवं अभिभावकों का कहना है कि छह माह पहले स्कूल से एक अध्यापक को किसी दूसरे स्कूल में भेज दिया गया। इस कारण अब हमारे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस संबंध में एसएमसी ने शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी कई बार अवगत करवाया लेकिन उनकी बात अनसुनी की गई। इसी के चलते रोषस्वरूप उन्हें अब यह कदम उठाना पड़ा है।
शुक्रवार को हम बच्चों के साथ स्कूल गए थे, लेकिन किसी अध्यापक की तैनाती के कोई आदेश नहीं हुए और हम एक बजे तक बैठ कर इंतजार करते रहे। जब तक किसी अध्यापक को स्कूल नहीं भेजा जाता तब तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
चंद्रकांता, खंड शिक्षा अधिकारी, श्रीनयनादेवी के बोल
इस मामले पर केंद्रीय शिक्षक को आदेश जारी कर दिए हैं कि केंद्र पाठशाला से प्रतिनियुक्ति पर अध्यापक भेजा जाए और समस्या का शीघ्र समाधान कर दिया जाए। अभिभावकों से आग्रह है कि अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें ताकि उनकी पढाई प्रभावित न हो।