हिमाचल के पांच युवक बने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, अब सरहद पर संभालेंगे देश की रक्षा का जिम्मा

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हिमखबर डेस्क 

भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून से प्रशिक्षण पूरा कर देश की रक्षा की शपथ लेते हुए हुए शनिवार को हिमाचल के पांच युवा अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं।

पासिंग आउट परेड के बाद युवाओं को अलग-अलग रेजीमेंट में तैनाती मिली है। अपने लाड़लों के कंधों पर सजे सितारों और शरीर पर अफसर की वर्दी देखकर परिजनों का सीना गर्व से चाैड़ा हो गया।

  • सरयून खास पंचायत के जमथलीघाट के शुभम ठाकुर की नियुक्ति 5/5 गोरखा राइफल में हुई है। शनिवार को आईएमए में पासिंग आउट परेड में उनके माता-पिता भी मौजूद रहे।

बेटे को सेना की वर्दी में देखकर उनके चेहरे गर्व से खिल उठे। पिता राजेश ठाकुर ने बताया कि शुभम की मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लगी थी, लेकिन देश सेवा का जज्बा उन्हें सेना में खींच लाया।

  • सेना में लेफ्टिनेंट बने ग्राम पंचायत बट के आर्यन ठाकुर की 12वीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा से की। प्रथम प्रयास में एनडीए परीक्षा पास कर राष्ट्रीय सैन्य अकादमी पुणे महाराष्ट्र के लिए चयन हुआ।

चार वर्ष का कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद आईएमए देहरादून से पासआउट हुए। पिता रणधीर सिंह शिक्षा विभाग में टीजीटी नॉन मेडिकल और माता वैष्णो गृहिणी हैं।

  • तलाई गांव के परिश्रुत को सेना में जाने की प्रेरणा नाना, स्व. जगदीश कुमार पवार से मिली थी, जो भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत रहे थे।

बचपन से ही अनुशासन और देशभक्ति से ओतप्रोत परिश्रुत ने प्रारंभिक शिक्षा तलाई स्थित शिशु मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे से स्नातक कर आईएमए देहरादून में प्रशिक्षण लिया।

  • दौलतपुर पंचायत के शिवम भाटिया के पासिंग आउट परेड में पिता सुरिंद्र कुमार और माता कांता शामिल हुए। दोनों शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। शिवम ने गुरुग्राम स्थित निजी कंपनी में कुछ समय के लिए नौकरी की थी।

उनके मन में देश के लिए कुछ करने का जज्बा था इसलिए नौकरी छोड़कर सीडीएस परीक्षा की तैयारी में जुट गए। पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली।

  • घालूवाल अनुज वशिष्ठ ने सितंबर 2021 में एनडीए की परीक्षा पास की थी। करीब 4 साल का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अनुज ने शनिवार को आईएमए में आयोजित पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया।

इस दाैरान उनके माता-पिता भी माैजूद रहे। अनुज ने श्रेय माता-पिता और अध्यापकों को दिया। उन्होंने कहा कि माता-पिता ने कॅरिअर के बारे में हमेशा प्रोत्साहित किया।

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