नालागढ़ – रजनीश ठाकुर
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ के तहत दभोटा स्थित एक निजी स्कूल का परिसर आज एक ऐसी अमानवीय त्रासदी का गवाह बना जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध और गमगीन कर दिया है। नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाली 5 वर्षीय मासूम छात्रा मनजोत कौर की स्कूल परिसर में बने सैप्टिक टैंक में गिर जाने से हुई दर्दनाक मृत्यु ने न केवल एक परिवार का चिराग बुझाया है, बल्कि स्कूल प्रबंधन की घोर लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यह दुखद घटना आज दोपहर के समय घटी। मनजोत कौर (5 वर्ष) स्कूल परिसर में अपने साथियों के साथ खेल रही थी। प्रारंभिक जांच बताती है कि परिसर में बने सेप्टिक टैंक का ढक्कन को ठीक से बंद नहीं किया गया था। यह खुली लापरवाही मासूम मनजोत के लिए काल बन गई।
खेलते-खेलते वह सीधे खुले टैंक में जा गिरी। बच्चों और स्टाफ को जब तक इस घटना का आभास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जिस परिसर को बच्चों के लिए सुरक्षित स्वर्ग होना चाहिए था, वही एक नन्ही जान के लिए कब्रगाह बन गया।
इस हृदय विदारक खबर ने मनजोत के माता-पिता पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है। जिस मासूम को वे स्कूल भेजकर सुनहरे भविष्य के सपने देख रहे थे, उसकी अकाल मृत्यु ने सारे सपनों को तोड़ दिया है। पूरे दभोटा और नालागढ़ क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। हर आंख नम है और हर जुबान पर स्कूल प्रबंधन के प्रति गुस्सा और लापरवाही पर सवाल है। यह हादसा नहीं, सरासर आपराधिक लापरवाही है। स्कूल की जिम्मेदारी बच्चों को सुरक्षित रखना है।
घटना की सूचना मिलते ही नालागढ़ पुलिस स्टेशन की टीम तुरंत स्कूल पहुंची। पुलिस ने शव को टैंक से बाहर निकलवाया और जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी कीं। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। थाना नालागढ़ पुलिस ने स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक अशोक वर्मा के बोल
बद्दी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक वर्मा ने पुष्टि करते हुए कहा कि शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम एम्स बिलासपुर में करवाया जायेगा।
यह दुर्घटना एक कड़ा संदेश है कि शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना स्कूल प्रबंधन की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि परिसर का हर कोना बच्चों के लिए सुरक्षित हो।


