लखनऊ/ उत्तर प्रदेश, सूरज विश्वकर्मा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को काली गाजर के हलवा का उदाहरण देकर कृषि कानूनों का फायदा बताया। विधानपरिषद में मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी पर निशाना साधने के लिए उनके ही निर्वाचन क्षेत्र बलिया के हलवाई का सहारा लिया। बलिया के बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के सहतवार कस्बे में रामरतन के काला गाजर के हलवा के जरिए सीएम ने कृषि कानून का गणित समझाया।
बताया कि रामरतन के यहां का हलवा मशहूर है। इसके लिए काला गाजर वे कांट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसानों से लेते हैं। ऐसा वर्षों से हो रहा है। इससे उन किसानों के खेत का मालिकाना हक नहीं छीन गया है। मुख्यमंत्री ने उदाहरण तो कई और भी दिए लेकिन यह वाकया सीधे नेता प्रतिपक्ष के चुनाव क्षेत्र से जुड़ा था, लिहाजा लखनऊ से बलिया जिला के सहतवार तक इसपर चर्चा शुरू हो गयी।
योगी आदित्यनाथ बुधवार को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की टोपी, बोलने के उनके बलियाटिक अंदाज आदि पर चुटकी तो ली ही, कृषि कानून के विरोध को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। सहतवार कस्बे में स्थित रामरतन के गाजर के हलवा का जिक्र हंसते हुए किया और हलवा की मिठास की तरह कांट्रैक्ट फार्मिंग का गणित भी समझा दिया।
सौ वर्ष से अधिक पुरानी है रामरतन की दुकान
सदन में सीएम के भाषण के बाद अचानक ही सुर्खियों में आयी सहतवार के रामरतन की दुकान 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। रामरतन का निधन हुए करीब 60 वर्ष हो गए। इस समय उनकी चौथी व पांचवीं पीढ़ी दुकान का संचालन कर रही है। रामरतन के जमाने में दुकान खपरैल में थी, अब पक्का निर्माण हो चुका है। मूल दुकान अब भी सहतवार बाजार में है। जबकि बाजार के अन्य हिस्सों में उनके परिवार के सदस्यों की कई और दुकानें भी हैं। सबसे पुरानी दुकान पर रामरतन की मौत के बाद उनके पुत्र जगन्नाथ ने दुकान संभाली। जगन्नाथ तीन भाई हैं, जबकि बेटे सात हैं। जगन्नाथ की मौत के बाद उनके पुत्र मोतीलाल प्रसाद मूल दुकान पर बैठते हैं। जबकि अन्य सदस्य अलग-अलग स्थानों पर दुकान संचालित कर रहे हैं।
धार्मिक महत्व से भी जुड़ी है यह दुकान
सहतवार के रामरतन की दुकान धार्मिक महत्व से भी जुड़ी है। प्रसिद्ध संत चैनराम बाबा का समाधि स्थल सहतवार में ही है। बताया जाता है कि रामरतन के दुकान की मिठाई से ही बाबा को भोग लगता था। सीजन में हलवा, जबकि बाकी समय में मिठाई समाधि स्थल पर चढ़ाने को जाती थी। चैन राम बाबा के शिष्य मौनिया बाबा के समय से शुरू हुई यह परम्परा अबभी कायम है। रोजाना सुबह मिट्टी के पात्र में यहां से मिठाई-हलवा जाता है और चैनराम बाबा को पहला प्रसाद चढ़ता है।
रोजाना एक कुंतल काला गाजर की खपत
रामरतन की दुकान पर सीजन में रोजाना एक कुंतल काला गाजर की खपत है। नवम्बर से मार्च तक गाजर का हलवा बनता है। रामरतन की मूल दुकान के अलावा इनके परिवार की ही कई अन्य दुकानें भी कस्बे में खुल गयी हैं, लिहाजा सबको मिलाकर रोजाना लगभग पांच कुंतल गाजर की खपत हो जाती है। रामरतन के नाती मोतीलाल प्रसाद के अनुसार किसान उत्पादन के बाद काला गाजर दुकान पर ही पहुंचा जाते हैं। क्षेत्र के कोलकला, बिनहा, भोपतपुर, सिंगही आदि गांवों में किसान इसकी खेती करते हैं। चूंकि काला गाजर की डिमांड बाजार में आम ग्राहक काफी कम करते हैं, लिहाजा किसानों के लिए दुकान पर पहुंचाना आसान होता है। बदले में उन्हें अच्छी कीमत भी मिल जाती है।
योगी ने चंदौली में पैदा होने वाले काले चावल से तैयार खीर का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि चंदौली के किसानों ने काले चावल की खेती शुरू की। यह सबसे ज्यादा प्रोटीनयुक्त चावल है और यह उत्तर प्रदेश का एक ब्रांड है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने एक बार मुझसे कहा कि क्या आपने काले चावल से बनी खीर खाई है। जब मैं वाराणसी गया तो अपनी पार्टी के कार्यकर्ता से कहा कि काले चावल की खीर लाओ।’’ योगी ने कहा कि वह इस बात से दुखी और आश्चर्यचकित हैं कि विपक्ष नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों को भ्रमित कर रहा है।