सफलता की कहानीःप्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भरता की ओर – सरवन कुमार की सफलता की यात्रा

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हिमखबर डेस्क

प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का उद्देश्य केवल रोजगार उपलब्ध करवाना ही नहीं है, बल्कि नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना भी है। इसी सोच को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। रसायन-मुक्त, पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाली तकनीक के रूप में प्राकृतिक खेती आज किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। इस बदलाव का प्रेरक उदाहरण हैं सुंदरनगर विकास खंड धनोटू के द्रमण गांव के किसान सरवन कुमार।

प्राकृतिक खेती की शुरुआत

वर्षों पूर्व सरवन कुमार ने जब प्राकृतिक खेती की राह चुनी तो यह यात्रा आसान नहीं थी, क्योंकि शुरुआत में कई कठिनाइयाँ सामने आईं। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। आत्मा परियोजना के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग बंद कर दिया और केवल देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से तैयार खाद एवं जैविक घोल का प्रयोग शुरू किया।

योजनाओं से मिला प्रोत्साहन

सरवन कुमार की मेहनत को गति मिली जब वे राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना कृषि विभाग के सुंदरनगर नैचुरल्स किसान उत्पादक कंपनी से जुड़े। आज वे न केवल धनोटू स्थित प्राकृतिक खेती उत्पाद बिक्री केंद्र के निदेशक हैं, बल्कि प्रबंधक की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। यही नहीं, वे आत्मा परियोजना में मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहे हैं और अन्य किसानों को आत्मनिर्भरता की राह दिखा रहे हैं।

नवाचार और उद्यमशीलता

सरवन कुमार ने खेती तक सीमित न रहते हुए नवाचार और उद्यमशीलता को भी अपनाया। वे स्थानीय उत्पादों से मूल्य संवर्द्धित वस्तुएँ तैयार करते हैं। उन्होंने धुआं रहित कोयला भी विकसित किया है, जो पर्यावरण-अनुकूल और सस्ता ईंधन विकल्प है। इन उत्पादों को वे घर पर बनाकर बिक्री केंद्र तक पहुंचाते हैं।

बिक्री केंद्र से किसानों को लाभ

धनोटू स्थित बिक्री केंद्र से आज लगभग 150 किसान जुड़े हैं। इनमें से 40 से अधिक किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिल रहा है। इस केंद्र के माध्यम से हर माह लगभग 60 से 70 हजार रुपए की आय हो रही है। इस बिक्री केंद्र में प्राकृतिक खेती विधि से उत्पादित हल्दी, अचार, मोटा अनाज, मोटे अनाज का आटा, विभिन्न किस्म के गेहूं का आटा, शरबत, आंवला कैंडी, प्राकृतिक घटक, एप्पल चिप्स, एप्पल साइडर विनेगर, सिरा, बड़ियां जैसे अनेकों उत्पाद उपलब्ध हैं।

किसानों के उत्पाद केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं बिक रहे, बल्कि नौणी विश्वविद्यालय आउटलेट, नम्होल कामधेनु आउटलेट, दिल्ली और धर्मशाला के जैविक हाटों तक पहुंच रहे हैं। इससे किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिली है और उन्हें अपने उत्पादों का उचित मूल्य भी प्राप्त हो रहा है।

किसानों के जीवन में बदलाव

सरकारी योजनाओं से किसानों का खर्च घटा है और आय लगातार बढ़ रही है। प्राकृतिक खेती ने भूमि की उर्वरता सुरक्षित रखी है और स्वास्थ्य व पर्यावरण दोनों को लाभ पहुँचाया है। शरबन कुमार आज लगभग 50–60 उत्पाद स्वयं तैयार करते हैं। उनका पूरा परिवार इस कार्य में सहयोग करता है। इस आय से उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई है।

सरकार और समाज का आभार

सरवन कुमार मानते हैं कि यदि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कदम न उठाती तो किसान आज भी पारंपरिक खेती और रसायनों पर निर्भर रहते। वे सरकार का आभार जताते हैं कि इन योजनाओं ने गांव-गांव तक आत्मनिर्भरता का संदेश पहुँचाया है।

अन्य किसानों की राय

ग्राम पंचायत बृखमणी के बीआरसी प्रकाश चंद बताते हैं कि धनोटू में बिक्री केंद्र खुलने से किसानों को घर बैठे रोजगार मिल रहा है और उनके उत्पाद बाजार तक आसानी से पहुँच रहे हैं। वे भी अपनी पंचायत में प्राकृतिक विधि से खाद बनाने और खेती करने के तरीके सिखा रहे हैं।

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