हिमखबर- डेस्क
हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्रीनयना देवी मंदिर पंजाब से सटे बिलासपुर जिले में है। शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर स्थित भव्य मंदिर है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है। वर्तमान में उत्तर भारत की नौ देवी यात्रा में नयना देवी का छठा दर्शन होता है, वैष्णो देवी से शुरू होने वाली नौ देवी यात्रा में मां चामुंडा देवी, मां बज्रेश्वरी देवी, मां ज्वालामुखी, मां चिंतपूर्णी देवी, मां नयना देवी, मां मनसा देवी, मां कालका देवी, मां शाकंभरी देवी सहारनपुर शामिल हैं। नयना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।
जानिए क्या है मान्यता
पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ हैं। ये सभी मंदिर भगवान शिव और माता शक्ति से जुड़े हुऐ हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थलों पर देवी के अंग गिरे थे। भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि वह भगवान शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। यह बात माता सती को काफी बुरी लगी और वह बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गईं।
यज्ञ स्थल पर भगवान शिव का काफी अपमान किया गया, जिसे माता सती सहन न कर सकीं और वह हवन कुंड में कूद गईं। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली तो वह आए और माता सती के शरीर को हवन कुंड से निकाल कर तांडव करने लगे। इस कारण सारे ब्रह्मंड में हाहाकार मच गया। पूरे ब्रह्मंड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बांट दिया, जो अंग जहां पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। मान्यता है कि श्री नयना देवी में माता सती के नेत्र गिरे थे।
60 हजार भक्तों का प्रतिदिन आना जाना
श्री नयना देवी मंदिर में नवरात्रि का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अष्टमी नवरात्र के दौरान यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आकर माता नयना देवी की कृपा प्राप्त करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना महामारी के कारण यहां इतनी भीड़ नहीं जुटेगी। मंदिर में इस बार सरकार की ओर से जारी एसओपी का पालन किया जा रहा है। इसके तहत भक्तों को अपनी 72 घंटों के भीतर की कोरोना नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट या फिर दोनों वैक्सीन के डोज का सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है।
पहुंचने के स्थान
जिला बिलासपुर के स्वारघाट क्षेत्र में स्थापित श्री नयना देवी मंदिर में सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। यहां हवाई जहाज से जाने वाले पर्यटक चंडीगढ़ विमान क्षेत्र तक वायु मार्ग से और आगे सड़क से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए अधिकतर लोग आनंदपुर साहिब होकर या फिर स्वारघाट से होकर पहुंचते हैं। यह स्थान दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर दूरी पर है और रोपड़ होते हुए भक्त श्रीनयना देवी पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ से मंदिर की दूरी करीब 115 किलोमीटर है।