चम्बा – भूषण गुरुंग
प्राकृतिक की गोद में बसे पांगी की गोद में उगा जौ हिमाचलियों से शुगर की दवाई छुड़वाएगा। जौ में डायबिटीज को नियंत्रित करने की कूबत पाई गई है। इसके अलावा जौ में बीटा ग्लूकन भरपूर है, जिस कारण इसे सुपर फूड माना जा रहा है। पांगी में प्राकृतिक खेती से उगाया जाने वाला जौ का आटा स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताया जा रहा है।
रासायनिक उर्वरकों से मुक्त यह हिमालयन जौ आटा पोषक तत्त्वों का खजाना है, जो पाचन सुधारने से लेकर गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करता है। इसमें बीटा-ग्लूकन और उच्च फाइबर की प्रचुरता इसे सुपरफूड बना रहा है। पांगी की ऊंचाई वाली जलवायु और जैविक खेती के कारण यह जौ आटा सामान्य जौ से कहीं अधिक पौष्टिक है।
इस आटे का नियमित सेवन से यह भूख को कंट्रोल करता है, वजन घटाने में सहायक है। हृदय स्वास्थ्य के लिए भी यह चमत्कारी है। सॉल्युबल फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। जौ आटा डायबिटीज का राम वाण है।
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली इस आटे से ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है, इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है। टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 20 से 30 फीसदी तक कम हो सकता है। सरकार की प्राकृतिक खेती योजना के तहत 60 रुपए प्रति किलो एमएसपी पर खरीदे जा रहे इस जौ को बाजार में प्रोमोट करने की कवायद तेज हो गई है।
11 मीट्रिक टन की खरीद
पांगी उपमंडल में इस बार 11 मीट्रिक टन जौ की खरीद की संभावना है। सरकार ने जौ खरीद के लिए पांगी में ही न्यूनतम सर्मथन मूल्य तय किया है। इस आधार पर सरकारी खरीद होनी है। सिविल सप्लाई के माध्यम से राशन डिपो पर उपलब्ध होगा।
सरकार ही उठाएगी फसल
पांगी में किसानों और बागबानों द्वारा उगाए सभी प्रकार के उत्पादों की खरीद सरकारी स्तर पर होगी। पांगी में जौ, आलू, मटर और सेब का उत्पादन होता है। ऐसे में इनके उत्पादन पर रासायनिक खाद का उपयोग न करने वालों से सरकार ही सभी उत्पाद खरीदेगी और इन उत्पादों को बेचने की व्यवस्था करेगी।

