शाहपुर – नितिश पठानियां
विधानसभा क्षेत्र शाहपुर के ऊपरी धारकंडी क्षेत्र हार बोह और सल्ली को ट्राउट हब बनाने की योजना पर कार्य शुरू हो गया है। इससे इस क्षेत्र में पर्यटन और रोजगार को काफी बढ़ावा मिलेगा। ट्राउट मछली के लिए 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान की जरूरत रहती है। इस लिहाज से शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र का तापमान ट्राउट मछली उत्पादन के लिए उपयुक्त पाया गया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत भी शाहपुर क्षेत्र में बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारने को लेकर काम चल रहा है। केंद्र की इस योजना के तहत मत्स्य पालन के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसमें मस्त्य पालन के लिए तालाब निर्माण, बीज हैचरी का निर्माण, मछलियों की खेप को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए रेफ्रिजरेटर की सुविधा वाले वाहन की खरीद, आइस स्टोरेज प्लांट, फिश क्योस्क एवं सेल प्वाइंट्स आदि के निर्माण आदि शामिल है।
वर्तमान में पालमपुर और बैजनाथ क्षेत्र में भी छोटे पैमाने पर ट्राउट मछली का कारोबार हो रहा है। अब अगर शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ट्राउट मछली का उत्पादन शुरू होता है तो इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की आमद भी बढ़ेगी।
मत्स्य विभाग अतिरिक्त निदेशक डॉ विक्रम महाजन के बोल
उधर, मत्स्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. विक्रम महाजन ने कहा कि शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक केवल सिंह पठानिया अपने क्षेत्र को ट्राउट हब बनाने को लेकर तत्पर हैं। विभाग उनके निर्देशानुसार योजना पर काम कर रहा है। हालांकि इस मामले में विभाग के निदेशक ज्यादा सूचना उपलब्ध करवा सकते हैं।
विधायक एवं उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानियां के बोल
शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र को ट्राउट हब बनाने की योजना पर कार्य शुरू हो गया है। ट्राउट मछली के लिए 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान की जरूरत रहती है। शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र का तापमान ट्राउट मछली उत्पादन के लिए उपयुक्त पाया गया है।
यह है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे, प्रबंधन, आधुनिकीकरण और मूल्य शृंखला को मजबूत बनाने, पता लगाने, एक मजबूत मत्स्य पालन स्थापित करने में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करने के लिए डिजाइन की गई एक योजना है।