इंदौरा – मोनू ठाकुर
भारतीय सेना की 6 मैकेनाइज यूनिट के मेजर दीक्षांत थापा का चौथा बलिदान दिवस उनके निवास स्थान गांव कंदरोड़ी में शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
इस दौरान परिषद के अध्यक्ष व शहीद लैफ्टिनंट गुरदीप सलारिया शौर्य चक्र के पिता कर्नल सागर सिंह सलारिया बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता डिंपी थापा, पिता नायब सूबेदार दीपक कुमार थापा, ताया कैप्टन सुरिंदर थापा, मामा सुबेदार मेजर संदीप थापा, इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग पंजाब व चंडीगढ़ के उपप्रधान कैप्टन फकीर सिंह, जम्मू से संध्या गुप्ता, शहीद नायक अजय सलारिया के पिता कैप्टन रतपाल सिंह, शहीद सिपाही मोहन सिंह चिब सेना मैडल के भाई ठाकुर जीवन सिंह चिव, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज और बी.डी.सी. के चेयरमैन सहदेव ठाकुर विशेष मेहमान के तौर पर शामिल हुए।
सर्वश्थम शहीद की माता हिंपी थापा व अन्य मेहमानों द्वारा शहीद के बित्र के समक्ष ज्योति प्रज्वलित व पुष्पांजलि अर्पित कर गर्व के आंसुओं के साथ शहीद मेजर दीक्षांत थापा के बलिदान को नमन कर कार्यक्रम का आगाज किया। सहीद मेजर थापा की माता द्विपी थापा ने सजल नेत्रों से कहा कि इतने शहीद परिवारों से मिलकर उन्हें हिम्मत मिली है कि जिंदगी को कैसे जिया जाता है।
उन्होंने कहा कि उनका बेटा रोज सुबह व्हाट्सएप पर ‘प्रणाम मां’ का मैसेज भेजता था और मैं उसका जवाब ‘गॉड ब्लैस यू बेटा’ के रूप में भेजती थी, मगर मेरा यह आशीर्वाद रूपी मैसेज भी बेटे के बलिदान को न रोक पाया। शहीद की माता ने कहा कि सरकार ने बेटे की शहादत के 4 वर्षों के बाद ही उसे भुला दिया।
पिता ने कहा-बहुत सैल्यूट मारे
मेजर दीक्षांत थापा के पिता नायब सूबेदार दीपक थापा ने कहा कि जब मैं खुद सेना में था और बेटा जब लैफ्टिनेंट सिलैक्ट हुआ तो उसे मैंने कहा कि बेटा मैंने अपने अधिकारियों को बहुत सैल्यूट मारे हैं, तूने अफसर बनकर मुझे वो सैल्यूट वापस लौटा दिए है।
विधानसभा में उठाया मामला
विधानसभा सत्र के दौरान इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक मलेंद्र राजन नेशहीद मेजर दीक्षांत थापा को लेकर अपनी बात रखी। उन्होने कहा कि जब मेजर दीक्षांत थापा शहीद हुए हुए थे तो पूर्व सरकार में विभिन्न मंत्रियों व तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शहीद को श्रद्धांजलि स्वरूप कई वायदे किए थे, जो आज तक अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी शहीद का उससे किए वायदों को निभाकर सम्मान किया जाना चाहिए।