वीरभद्र के वर्धहस्त से संजय को ज्वालामुखी विस की टिकट भी मिली और विधानसभा में भी पहुंचे, 2012 -17 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद ज्वालामुखी को लगे विकास के पंख, स्वतंत्रता सेनानी पं सुशील रतन व बेटे संजय रतन से था पारिवारिक रिश्ता।
ज्वालामुखी, शीतल शर्मा
2012 विधानसभा चुनाव में टिकट से लेकर विधानसभा तक वीरभद्र ने अपने चहेते स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुशील रतन के बेटे संजय रतन पर ऐसा वर्धहस्त रखा की चुनाव में टिकट से लेकर विधानसभा तक संजय रतन को पहुंचाकर ही दम लिया।
यह वीरभद्र का ही करिश्मा था कि ज्वालामुखी विस चुनावो में दर्जनों जनसभाएं संजय रतन के पक्ष में एक ही दिन में कर डाली और जनता को भरोसा दिलवाया की संजय को जिताएं और इस क्षेत्र की तस्वीर और तक़दीर बदल देंगे।
वीरभद्र सिंह और पंडित सुशील रतन के परिवार के पारिवारिक रिश्तो से कौन परिचित नहीं था इसलिए जनता ने भी राजा वीरभद्र सिंह के कहे मुताबिक संजय रतन को विधानसभा में जितवा कर पहुंचा दिया।
वीरभद्र सिंह ने भी मुख्यमंत्री बन कर के 2012 से लेकर 2017 तक पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा विकास ज्वालामुखी विधानसभा की झोली में डाला और यहां की जनता को यह एहसास बखूबी करा दिया की संजय रतन को जितवा कर उन्होंने कोई भी गलती नहीं की है।
वीरभद्र ने संजय रतन के संग नज़दीकियों के चलते जहां ज्वालामुखी विस को उपमंडल का दर्जा दिया, वहीं तीन सरकारी कॉलेज, सड़कें, बिजली, पानी की स्कीमें थोक में दे डाली।
माँ ज्वाला को कुलदेवी के रूप में माना
वीरभद्र मां ज्वाला को अपनी कुलदेवी के रूप में भी मानते थे और जब भी ज्वालामुखी आते तो मां ज्वाला के चरणों में शीश नवा कर मंदिर के पुजारियों से आशीर्वाद लेकर ही अपनी यात्रा शुरू करते थे। मां ज्वाला को लगने वाले भोग प्रसाद को भी जरूर ग्रहण करते थे वे मानते थे कि मां का आशीर्वाद उन पर भरपूर है और हर चुनौती से मां की शक्ति से निपट लेंगें।
वीरभद्र सिंह का चले जाना अपूर्णीय क्षति:संजय रतन
पूर्व विधायक संजय रतन ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जाना प्रदेश के लिए अपूर्णीय क्षति है। पिता समान मेरे राजनीतिक गुरु वीरभद्र सिंह का अपनी अंतिम यात्रा पर चले गए लेकिन हमारे दिलों में सदा रहेंगें।
उनके परिवार को ईश्वर इस दुःख की घड़ी में असहनीय पीड़ा सहने की शक्ति प्रदान करे और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।