राजौरी में सेना ने दो आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया, दो जवान भी घायल, सर्च आपरेशन जारी

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जम्मू & कश्मीर – ब्यूरो रिपोर्ट 

स्वतंत्रता दिवस पर जम्मू कश्मीर में किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से घुसपैठ कर आए दो आतंकवादियों को सेना के जवानों ने मुठभेड़ में मार गिराया है।

राजौरी के दरहाल सेक्टर में आज सुबह सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमें दो आतंकवादियों को मार गिराया गया। हालांकि इस मुठभेड़ में सेना के दो जवान भी घायल हुए हैं।

घायल जवानों को राजौरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मारे गए आतंकवादियों की फिलहाल पहचान नहीं हो पाई है। इलाके में और आतंकवादियों की मौजूदगी की आशंका के चलते सेना व पुलिस के एसओजी के जवानों ने सर्च आपरेशन चलाया हुआ है।

आपको बता दें कि पिछले चौबीस घंटों के भीतर जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच यह दूसरी मुठभेड़ है। इससे पहले सुरक्षाबलों ने बड़गाम में टीआरएफ के कमांडर लतीफ राथर समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया था।

लतीफ के साथ मारे गए दो अन्य आतंकी पाकिस्तानी बताए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि आतंकी संगठन स्वतंत्रता दिवस पर जम्मू व कश्मीर में बड़ी आतंकी वारदात की साजिश रच रहे हैं।

जम्मू संभाग में हमले के इरादे से ही राजौरी के दरहाल सेक्टर से इन आतंकवादियों ने घुसपैठ की। इससे पहले कि ये आतंकी अपनी योजना में कामयाब होते सुरक्षाबलों ने उन्हें वहीं ढेर कर दिया।

सेना व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि चौबीस घंटों के भीतर पांच आतंकवादियों का मारा जाना बड़ी उपलब्धि है। ये आतंकी हमला करने की फिराक में थे।

सात लाख का इनामी था लतीफ राथर

एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि लतीफ राथर व उसके दोनों साथियों को कश्मीर में टारगेट किलिंग का काम सौंपा गया था।

कश्मीरी हिंदू कर्मी राहुल भट्ट, अनुसूचित जाति की अध्यापिका रजनी बाला और टीवी कलाकार अमरीन बट की हत्या का मास्टरमांइड टीआरएफ कमांडर लतीफ राथर करीब 10 वर्ष से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय था और उस पर सात लाख का इनाम था। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार व गोला बारूद भी बरामद हुआ है।

2001 में पहली बार पकड़ा गया लतीफ

बड़गाम में वडीपोरा चाडूरा का लतीफ पुराना आतंकी था। आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते वह पहली बार वर्ष 2001 में पकड़ा गया था। कुछ समय जेल में रहने के बाद वह जब छूटा तो आतंकियों के लिए ओवरग्राउंड वर्कर काम करने लगा।

उसने 24 जून 2013 को पाकिस्तानी आतंकी कमांडर अबु कासिम के साथ हैदरपोरा में सैन्य काफिले पर हमला किया। इसमें आठ सैन्यकर्मी बलिदानी हुए। दिसंबर 2013 में चाडूरा बाजार में पुलिस दल पर हुए हमले के षड्यंत्र में भी वह शामिल था। इसी हमले से चंद दिन पहले वह जमानत पर जेल से छूटा था।

वह फिर लश्कर में शामिल हुआ था। कुछ माह बाद वह श्रीनगर में पकड़ा गया। नवंबर 2021 में जमानत पर रिहा होते ही दोबारा आतंकी संगठनों के लिए काम करने लगा। वह लतीफ श्रीनगर में लश्कर व टीआरएफ की बढ़ती गतिविधियों के चलते सुरक्षाबलों की नजर में आ गया। फरवरी में वह सदरबल श्रीनगर में अपनी बहन के घर से गायब हो गया।

लतीफ को मिला था गैर कश्मीरियों की हत्या का जिम्मा

फरवरी 2022 में लतीफ जब फिर लश्कर में शामिल हुआ तो उसे द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का आपरेशनल कमांडर बनाया गया। लतीफ कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों व विभिन्न राज्यों से रोजी रोटी कमाने आए श्रमिकों की हत्या का जिम्मा दिया।

वह पाकिस्तान में बैठे लश्कर कमांडर साजिद और कश्मीर से भागे आतंकी सज्जाद गुल के संपर्क में रहता था। उसने श्रीनगर, बडग़ाम और पुलवामा में टीआरएफ का नया कैडर तैयार किया। लतीफ ने ही मई में चाडूरा में कश्मीरी हिंदु राहुल भट्ट की हत्या कराई थी।

इसके बाद हशरु बडग़ाम में टीवी व टिकटाक कलाकार अमरीन बट की हत्या में भी शामिल था। बीते दिनों बडग़ाम में ईंट भट्टर मजदूरों पर हमले का भी सूत्रधार था। जम्मू की अध्यापिक रजनी बाला की कुलगाम में हुई हत्या भी आतंकी बासित ने उसके ही इशारे पर कराई थी।

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