हिमाचल प्रदेश में अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही आई सामने, टूटे फर्श के बीच बच्चों का किया जा रहा इलाज, मंडी अस्पताल का है मामला, जहां मरम्मत के दौरान धूल में बच्चों का हो रहा इलाज, प्रशासन ने न मरीजों को शिफ्ट करने की उठाई जहमत ना ही खाली नहीं कराए वार्ड, संक्रमण का बढ़ा खतरा
मंडी – अजय सूर्या
सबसे पहले तो तस्वीर देखिये, फर्श टूटा हुआ है और धूल मिट्टी के बीच ही बच्चों का इलाज हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के जोनल हॉस्पिटल मंडी के मातृ एवं शिशु अस्पताल (एमसीएच) से प्रशासन की लापरवाही तस्वीरें सामने आई हैं। अस्पताल के वार्डों में फर्श की टाइलें टूटने के बाद मरम्मत कार्य तो शुरू कर दिया गया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि मरम्मत के दौरान वार्ड को खाली कराने की कोई जहमत नहीं उठाई गई।
इसके चलते बच्चों का इलाज धूल-मिट्टी से भरे माहौल में किया जा रहा है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और अधिक बढ़ गया है। पिछले कुछ महीनों से एमसीएच के विभिन्न वार्डों की टाइलें टूट रही थीं। मरम्मत का जिम्मा एक ठेकेदार को दिया गया, जिसने रविवार से काम शुरू कर दिया, लेकिन इस दौरान मरीजों को दूसरे सुरक्षित वार्डों में शिफ्ट नहीं किया गया, जबकि अस्पताल परिसर में अन्य वार्ड खाली पड़े हैं।
मरम्मत के चलते वार्ड में लगातार धूल उड़ रही है। पंखे भी नहीं चलाए जा सकते क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ रही है। अपने बच्चों का इलाज करवाने आए तीमारदार रोचन राम, आशा देवी और दीनानाथ ने बताया कि धूल-मिट्टी के बीच बच्चों का इलाज कराना बेहद चिंताजनक है। उनका कहना है कि प्रशासन को पहले मरीजों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करना चाहिए था।
बीमार बच्चे के तीमारदार रोचन राम ने कहा, “बच्चे बीमार हैं और ऊपर से यह धूलभरा माहौल और परेशानी बढ़ा रहा है।” आशा देवी कहती हैं कि “कम से कम इलाज की जगह तो साफ-सुथरी होनी चाहिए, वरना सुधार के बजाय हालत बिगड़ जाएगी। ”इसी तहर, दीनानाथ कहते हैं, “दूसरे खाली वार्ड में शिफ्ट करना कोई मुश्किल काम नहीं था। ये सीधी लापरवाही है।”
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. डीएस वर्मा के बोल
वहीं जब इस संबंध में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) डॉ. डीएस वर्मा से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपाली शर्मा के बोल
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) मंडी, डॉ. दीपाली शर्मा ने कहा, “फिलहाल मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर पाना संभव नहीं है। मरम्मत का कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा करवाया जा रहा है और ठेकेदार ने इसे दो दिन में पूरा करने का आश्वासन दिया है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोशिश की जा रही है कि मरीजों को कम से कम परेशानी हो।”