मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना से निखरतीं पारम्परिक शिल्प एवं कलाएं

--Advertisement--

धर्मशाला, राजीव जसबाल 

प्रदेश में सदियों से अनेक पारम्परिक शिल्प एवं कलाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती आ रही हैं। लेकिन बदलते समय के साथ इनके संवर्धन और संरक्षण की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। वजह है इनके जानने वाले और सिखाने वाले कारीगरों का दिन-प्रतिदिन का कम होते जाना एवं अगली पीढ़ियों का अपनी विरासत से विमुख होना।

स्पष्ट है कि इनके संवर्धन और संरक्षण के लिए इनके निरन्तर पोषण और समर्थन की आवश्यकता है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार पारम्परिक आर्ट एवं क्रॉफ्ट केे संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना लेकर आई है, जिससे राज्य में विलुप्त होती जा रही कलाओं और विधाओं को सहेजने में मदद मिलेगी।

अतिरिक्त उपायुक्त, कांगड़ा एवं परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. राहुल कुमार बताते हैं कि इस योजना का उद्देश्य है-पारम्परिक शिल्पकारों और दस्तकारों को चिन्हित करना, क्षमता निर्माण, पारम्परिक कौशल को आधुनिक एवं सामयिक बनाना, युवाओं को इन कलाओं एवं कौशलों को सीखने के लिए प्रेरित करने के साथ प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना तथा उत्पादों के विपणन के लिए विभिन्न माध्यमों से बाज़ार से सम्पर्क स्थापित करवाना।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना में प्रशिक्षक और प्रशिक्षु दोनों को सम्बन्धित विकास खण्ड में आवेदन करना होता है। योजना के तहत प्रदेश सरकार द्वारा जिन निर्धारित कला-कार्यों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, उनमें लकड़ी से बने खिलौने, फुलकारी कढ़ाई, बांस शिल्प, चीड़ पत्ती शिल्प, पेपर बैग, कांगड़ा पेटिंग, ब्लैक पॉटरी, थंका पेटिंग आदि शामिल हैं।

इस योजना के तहत प्रशिक्षण की अवधि तीन माह से एक वर्ष तक की हो सकती है। प्रशिक्षण शिल्प-कला सिखाने वाले के कार्यस्थल पर ही दिया जाएगा। निर्धारित अवधि के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा प्रशिक्षक को 1,500 रुपये प्रति प्रशिक्षु प्रतिमाह तथा हर प्रशिक्षु को 3,000 रुपए प्रतिमाह मानदेय के रूप में प्रदान किए जाएंगे।

विकास खण्ड, रैत के अंतर्गत ढुगियारी गांव की रीना देवी, जो थंका पंेटिंग तथा बिन्दु जोकि कांगड़ा की रहने वाली हैं, कांगड़ा पेटिंग में पारंगत हैं। शिवानी, तृप्ता देवी, रोजी, जीवन तथा शिवानी को कांगड़ा पेंटिंग तथा थंका पेटिंग सिखा रही हैं। रीना देवी का कहना है कि उन्होंने इस कला की बारीकियां अपने पति धनी राम से सीखी हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास जो प्रशिक्षु कांगड़ा पंेटिंग सीख रहे हैं, वे पूरी तनमन्यता के साथ इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं।

उपायुक्त, कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति बताते हैं कि वर्तमान में मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना ज़िला के 11 विकास खण्डों में चलाई जा रही है। योजना के तहत एक प्रशिक्षक अधिकतम पांच लोगों को ट्रेनिंग प्रदान कर सकता है। ज़िला में इस समय 20 प्रशिक्षक विभिन्न विधाओं में 100 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

--Advertisement--
--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

“हिमाचल को 1500 करोड़ देने के लिए PM मोदी का आभार, लेकिन नुकसान 10 हजार करोड़ से ज्यादा का हुआ”

शिमला - नितिश पठानियां पीएम नरेंद्र मोदी ने आपदा से...

CIA टीम ने गुप्त सूचना पर गाड़ी से पकड़ा 30.57 चिट्टा, धर्मशाला के 3 युवक गिरफ्तार

हिमखबर डेस्क पुलिस थाना कांगड़ा के अंतर्गत केंद्रीय खुफिया एजैंसी...