मीनू कोच के चालक सुरेश छिंटा व परिचालक बिट्टू नेगी ने लौटाया 3 लाख से अधिक के गहनों से भरा पर्स

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हिमखबर डेस्क

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आज के दौर में जहां ज़रा-सा मौका मिलते ही कई लोग दूसरों की चीज़ें हड़पने से नहीं चूकते, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ईमानदारी और मानवता की मिसाल बन जाते हैं। सोलन से कुपवी जाने वाली मीनू कोच में कार्यरत चालक सुरेश छिंटा (निवासी बोरा) और परिचालक बिट्टू नेगी (निवासी गेहल) ने ऐसा ही एक सराहनीय कार्य कर दिखाया।

घटना कुछ दिन पहले की है। शिवपुर की रहने वाली सुषमा ठाकुर किसी कार्यवश सोलन आई थीं और वापसी पर मीनू कोच से यात्रा कर रही थीं। सफर के दौरान उनका एक पर्स बस में गिर गया, जिसमें सोने-चांदी के बहुमूल्य गहने थे। पर्स में कोई पहचान पत्र या संपर्क सूत्र न होने के कारण उसे उसके असली मालिक तक पहुंचाना आसान नहीं था। लेकिन चालक और परिचालक की नीयत नेक थी।

उन्होंने न केवल पर्स को सुरक्षित रखा, बल्कि पूरे पांच दिन तक इसकी जिम्मेदारी भी निभाई। न कोई लालच दिखाया, न ही गहनों को अपने पास रखने की मंशा रखी। जब पांच दिन बाद किसी तरह सुषमा ठाकुर से संपर्क हुआ और उन्होंने अपने पर्स की जानकारी दी, तो आज सुबह उन्हें पर्स लौटा दिया गया-वह भी गहनों सहित, पूरी तरह सुरक्षित अवस्था में।

सुषमा ठाकुर के बोल

सुषमा ठाकुर का कहना है कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा कीमती सामान उन्हें वापस मिल जाएगा। उन्होंने चालक सुरेश और परिचालक बिट्टू का दिल से धन्यवाद किया और कहा कि यह दोनों वाकई समाज के लिए प्रेरणा हैं। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि ईमानदारी और इंसानियत अभी भी ज़िंदा हैं। सुरेश छिंटाऔर बिट्टू नेगी जैसे लोग हमारे समाज की असली पूंजी हैं। ऐसे कर्मियों की सराहना की जानी चाहिए, ताकि समाज में भरोसा और विश्वास बना रहे।

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