चम्बा भूषण गुरुंग
सवा साल से अधिक समय से बंद चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो कर रह गई है। स्कूली बच्चों को हो रही अप्रत्याशित क्षति से बचाव के लिए राज्य सरकारों ने ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प अख्तयार किया है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सभी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही है जिसके लिए सूबे के तमाम स्कूलों के प्रमुख अपने अधीन अध्यापकों के साथ सरकारी दिशा निर्देशों के तहत उक्त कार्य में विषम परिस्थितियों में जी जान से जुटे हैं।
जिसके लिए सभी शिक्षक निजी ख़र्च पर उक्त शिक्षा प्रदान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। परन्तु डिजिटल डिवाइड यानी डिजिटल असमानता, डिजिटल साक्षरता का अभाव व भौगोलिक विषमताओं के चलते प्रदेश में ऑनलाइन शिक्षा धरातल पर धराशायी होती प्रतीत हो रही है जिसके लिए उक्त प्रमुख बाधाओं के निज़ात हेतु राज्य सरकार का कोई सार्थक प्रयास न होना मुख्य कारण है। यह बात आम आदमी पार्टी, हिमाचल प्रदेश के प्रवक्ता सलीम मुहम्मद व पार्टी के सेवानिवृत्त टीचर्स विंग के राज्य अध्यक्ष श्री कल्याण भण्डारी ने प्रेस के नाम जारी बयान में कही।
उन्होंने अपनी बात पर और रोशनी डालते हुए कहा कि प्रदेश के अधिकांश लोगों के पास न इंटरनेट युक्त कंप्यूटर और न ही वांछित डेटा के साथ एंड्रॉयड मोबाइल फोन हैं। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा की बात करना बेमानी है। इसके अलावा राज्य के गांव थ्री जी और फोर जी इंटरनेट सुविधा से भी महरूम हैं तथा प्राइमरी व सेकंडरी बच्चों और उनके माता-पिता एवं अभिभावकों में डिजिटल साक्षरता का अभाव ऑनलाइन शिक्षा के मार्ग को अवरुद्ध करता है।
प्रदेश प्रवक्ता ने सलीम मुहम्मद व सेवानिवृत्त टीचर्स विंग के राज्य अध्यक्ष श्री कल्याण भण्डारी कहा कि ऐसे में सरकार को चाहिए कि डिजिटल विभाजन को कम करने की दिशा में उचित कदम उठाये। मसलन कक्षा प्रथम से आठवीं तक के बच्चों को “शिक्षा के अधिकार अधिनियम” के तहत मुफ्त में एंड्रॉइड फोन मुहैय्या करवाये जाएँ व सेकंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी तक के गरीब परिवार से सम्बद्ध रखने वाले छात्रों को ” समग्र शिक्षा अभियान ” के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाये।
ध्यातव्य है कि ऑनलाइन टीचिंग क्रमशः कंप्यूटर आधारित( सी0 बी0 टी0), मोबाइल आधारित( एम0बी0टी0) व वेब आधारित( डब्ल्यू0बी0टी0) होती है। और फिर इस दिशा में सरकारी उपेक्षा डिजिटल डिवाइड को और विस्तारित करती है।