भोलेनाथ का प्राचीन गुफानुमा जटाओं बाला शिव मंदिर त्रिलोकपुर में श्रद्धालुओं ने नवाजा शीश।

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कोटला – (स्वयंम)

हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है और देवभूमि जिला कांगड़ा के तहसील ज्वाली में एक छोटा सा स्थान है त्रिलोकपुर, इस छोटे से मगर महत्वपूर्ण स्थान पर सड़क के किनारे भगवान भोलेनाथ का एक प्राचीन गुफानुमा मंदिर है ।

इस मंदिर के भीतर छत से ऐसी विचित्र जटाएं सी लटकती नजर आती हैं, जिन्हें देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, मानो छत से सांप लटक रहे हो।

शिव प्रतिमा के दोनों और पत्थर के स्तंभ खड़े हैं ।गुफा के आकार में बने इस मंदिर में प्रवेश करते ही अपने आप सिर शिव प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा से झुक जाता है।

मंदिर के बाहर एक छोटा सा नाला बहता है । नाले में कई विशाल शिलाएं अजीब अजीब सी आकृतियो जैसे लगती हैं इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मानो भेड़े इस नाले में लेटी हो ।

इस मंदिर की कथा इस प्रकार है।

कहते हैं कि सतयुग में एक बार भगवान शंकर इस गुफा में एकांत पाकर तपस्या में लीन थे। जिस स्थान पर भोले शंकर बैठे थे वहां दो सोने के स्तंभ थे। उनके आसपास सोना बिखरा पड़ा था। भगवान शिव के सिर पर सैकड़ों मुख वाला सर्प छतर की भाति उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहा था।

भगवान शिव घोर तपस्या में लीन थे। अचानक एक गडरिया अपनी भेड़ों को चराता हुआ गुफा के अंदर प्रवेश कर गया। उसने गुफा में साधु को तपस्या में लीन देखा।  साधु के चारों ओर सोना बिखरा पड़ा है । उसके मन में लालच आ गया। उसने सोचा साधु तपस्या में लीन है क्यों न थोड़ा सोना उठा कर ले जाऊं । मेरी पीढ़ियों को कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और साधु को पता भी नहीं चलेगा।

गडरिया ने आसपास बिखरा सोना समेटा पर उसका लालच और भी बढ़ गया। उसने भगवान शिव के साथ खड़े दोनों स्वर्ण के स्तंभों से भी सोना निकालना शुरू कर दिया। इससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। भगवान ने विचार किया कि जब सतयुग में आदमी का लालच इतना बढ़ गया तो फिर कलयुग में क्या हाल होगा।

उन्होंने गडरिया को पत्थर होने का श्राप दे दिया । जो आज भी उसी मुद्रा में गुफा में मौजूद है और भगवान शिव के ऊपर टपकने वाले सांपों के मुख से उस समय दूध टपकता था जो आज पानी बनकर टपकता है ।

मंदिर के पुजारी अविनाश गिरि ने बताया की हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वैसे ही कार्यक्रम हुए लेकिन कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं ने मास्क और दूरी का पूरा पालन किया। पूरा दिन भजन कीर्तन चलता रहा। और श्रद्धालुओं ने पूरा दिन भगवान शंकर के दर्शन करे।

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