भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठो में श्रद्धालुओं के लिए बनाए जाने वाले लंगर की होगी गुणवत्ता जांच।

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दिल्ली, शिवम 

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ में श्रद्धालुओं के लिए बनाए जाने वाले लंगर के भोजन की गुणवत्ता जांच भी होगी। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सिद्धपीठ को नोटिफाई किया है। इसके साथ ही हमीरपुर जिला के तीन और प्रसिद्ध मंदिरों के लंगर को जांच के दायरे में लाया गया है।

फिलहाल सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ मंदिर में बनने वाले लंगर की क्वालिटी जांची जाएगी। खाद्य सुरक्षा विभाग के माध्यम से इस कार्य को अंजाम दिया जाएगा।

लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए एफएसएसएआई ने मंदिरों के लंगर को भी जांच में शामिल किया है। इसके साथ ही हमीरपुर जिला के डिडवीं टिक्कर स्थित साईं मंदिर, शनिदेव मंदिर लंबलू व अवाहदेवी माता मंदिर के लंगर भवन में बनने वाले भोजन की जांच की जाएगी।

जाहिर है कि बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध में हर रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। यदि बात चैत्र मास मेलों की करें तो एक ही दिन में हजारों भक्त यहां शीष नवाने पहुंचते हैं। हिमाचल सहित अन्य राज्यों तथा विदेशों से भक्त बाबा के दरबार आकर नतमस्तक होते हैं।

यहां श्रद्धालुओं के लिए लगातार लंगर की व्यवस्था रहती है। इसके साथ ही लंबलू स्थित प्रसिद्ध शनिदेव मंदिर में शनिवार को हजारों भक्त पहुंचते हैं। यहां पर इस दिन बड़े स्तर पर लंगर का प्रबंध रहता है। ऐसे में इस मंदिर के भोजन की भी जांच होगी।

हालांकि कोरोना काल के चलते मंदिर में लंगर लगाने पर प्रतिबंध है। जैसे ही मंदिरों में लंगर की व्यवस्था शुरू होगी, वैसे ही क्वालिटी की जांच भी शुरू हो जाएगी। उधर, साईं मंदिर डिडवीं टिक्कर में गुरुवार के दिन भक्तों की काफी आवाजाही रहती है।

इसके अलावा अवाहदेवी माता भी हजारों लोगों की कुलदेवी है। ऐसे में यहां पर भी भक्तों का आगमन अधिक रहता है। मंदिर के साथ ही लगते रेस्टोरेंट व ढाबों में भोजन की गुणवत्ता की जांच होगी। मंदिरों के लंगरों के भोजन तथा मंदिरों के साथ लगते ढाबों व रेस्टोरेंट की गुणवत्ता जांच के लिए संबंधित विभाग को 52 हजार का बजट मिला है।

होटल व ढाबों को हर छह महीने में पानी की गुणवत्ता की जांच करवानी होगी। इसके साथ ही खाने की गुणवत्ता को भी चैक करवाना होगा। इसके बाद इसका रिकार्ड ऑनलाइन चढ़ाया जाएगा।

पानी की गुणवत्ता जांच आईपीएच की एनएबीएल लैब से करवानी होगी। वहीं, भोजन की गुणवत्ता जांच के लिए संबंधित विभाग को बताना होगा। यदि छह माह में पानी व भोजन की गुणवत्ता की जांच नहीं करवाई गई तो निरीक्षण के दौरान खामियाजा संबंधित दुकानदारों को भुगतान होगा।

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