व्यूरो – रिपोर्ट
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भैया दूज का त्योहार आज बुधवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। भाई दूज को यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है।
मान्यता है कि इस दिन यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आए थे। भाईदूज के दिन भाई अपनी बहन के घर पहुंचकर तिलक करवाते हैं। इस मौके पर बहनों ने भाइयों के माथे पर मंगल तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र के साथ सुखी जीवन की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों को उपहार भेंट कर मंगलकामना करती हैं।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई बहन के स्नेह का प्रतीक भाई दूज के त्यौहार पर शुभ अभिजीत मुहूर्त 11.45 से दोपहर एक बजे तक रहेगा। यह मुहूर्त तिलक लगाने के लिए बेहतर है। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर से आरंभ हो रही है जो 27 अक्टूबर की दोपहर को समाप्त होगी। ऐसे में इस बार 26 अक्तूबर के ही दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।
भाई दूज पूजा विधि
भाई दूज पर्व के दिन भाई-बहन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। भाई दूज के दिन बहन अपने घर पर भाई को बुलाकर उन्हें तिलक लगाएं और अपने हाथों से परोसकर भोजन कराएं।
शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक लगाने से उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है और आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। भाई को तिलक लगाने के बाद उनकी आरती उतारें और हाथ में रक्षा सूत्र बांधें। फिर मिठाई खिलाएं।
भाई दूज पर तिलक लगाने का महत्व
शास्त्रों के अनुसार तिलक लगाने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ती है। निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। तिलक के ऊपर चावल लगाने से मानसिक शांति मिलती है।
अक्षत चंद्रमा का प्रतीक है, मान्यता है कि जो लोग इस दिन सुवासिनी बहनों के घर जाकर तिलक करवाता है और भोजन करता है। अपकीर्ति, शत्रु, भय आदि का सामना नहीं करना पड़ता और जीवन में धन, यश, आयु, और बल की वृद्धि होती है।