ब्रह्मलीन महंत श्री राजेश्वर भारती जी की पुण्यतिथि पर लिंग पुराण कथा विश्राम 

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ब्रह्मलीन महंत श्री राजेश्वर भारती जी की पुण्यतिथि पर लिंग पुराण कथा विश्राम, सैकड़ों भक्तों ने किया भंडारे का प्रसाद ग्रहण

सोलन – आऱपी ठाकुर

ब्रह्मलीन महंत श्री श्री 108 राजेश्वर भारती जी महाराज की पांचवीं पुण्यतिथि पर आयोजित लिंग पुराण कथा का बुधवार को विश्राम हुआ।

सनौरा गिरी पुल पंच परमेश्वर महादेव शिव मंदिर मैं सैकड़ों भक्त जनों ने पहुंच कर अंतिम दिवस की कथा को श्रवण किया और महाराज श्री का आशीर्वाद लिया।

गुरुदेव श्री श्री 1008 शंभू भारती जी महाराज व उनके शिष्य श्री श्री 108 जगमोहन भारती जी महाराज के सानिध्य में आयोजित इस लिंग पुराण कथा में 7 दिन तक अपनी मधुर वाणी से कल्याणपुर अर्की के कथा व्यास ज्योतिषाचार्य ओम प्रकाश शर्मा जी ने भक्तों को भगवान शंकर के लिंग पुराण की अनेकों कथाएं श्रवण करवाई।

गुरुचरण सेवक श्री आदर्श भारती जी महाराज ने बताया कि गुरुदेव की यह पांचवीं पुण्यतिथि है ।‌ सैकड़ों भक्त गुरुदेव से जुड़े हैं और उनके प्रति प्रेम और अथाह श्रद्धा रखते हैं।

उनकी पुण्यतिथि पर लिंग पुराण कथा आयोजित हो रही थी स्थानीय लोगों के साथ बाहर के राज्यों से आए उनके भक्तों ने कथा श्रवण की और सैकड़ों की संख्या में पहुंचे भक्त जनों ने भंडारे का भी प्रसाद ग्रहण किया।‌

कथा व्यास ज्योतिषाचार्य ओम प्रकाश शर्मा जी ने अंतिम दिवस की कथा में भक्तों को भगवान शंकर के अनेक प्रसंग सुनाए।

कथा में उन्होंने देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की कथा भी सुनाई। अंत में उन्होंने भक्तों को अनेक प्रकार के नर्कों का भी वर्णन किया।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसी के अनुसार उसे फल की प्राप्ति होती है। ‌ यदि व्यक्ति अच्छा कर्म करता है तो उसे भगवान के धाम की प्राप्ति होती है और यदि बुरा कर्म करता है तो इस प्रकार नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। हमारे धर्म ग्रंथो में हर कर्म का वर्णन मिलता है। ‌

मनुष्य को यह मनुष्य योनि 84 लाख योनियों को भोगने के बाद मिलती है। ‌ इस योनि में यदि आप अपना कल्याण नहीं कर सके तो अन्य कोई योनि नहीं है जिसमें आप भगवान को प्राप्त कर सकते हो।

कथा व्यास ने कहा कि व्यक्ति इस कलयुग में अन्नदान करें वस्त्र दान करें भगवान का भजन करें। भगवान की भक्ति इस कलयुग में सबसे सरल और उत्तम उपाय है प्रभु को प्राप्त करने का और मोक्ष प्राप्त करने का।

आने जाने के चक्र से यदि व्यक्ति को छूटना है तो उसे हरि कीर्तन का ही सहारा लेना चाहिए। भगवान शंकर के आराध्य देव श्री राम है व्यक्ति के मुख पर यदि राम नाम है तो आपका कल्याण होना संभव है।

उन्होंने सभी सेवादार व मंदिर से जुड़े सभी भक्त जनों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने इतने गर्म मौसम में भी आकर भगवान की कथा को श्रवण किया। ‌ उन्होंने कहा कि यह बहुत सिद्ध स्थान है।

जब यहां पर 18 पुराण पूरे हो जाएंगे तो यह तीर्थ बन जाएगा नैमिषाणमय की तरह।‌ इस मंदिर में पांच प्रकार के शिवलिंग स्थापित हैं भगवान भोलेनाथ अनेक रूपों में यहां विराजित हैं।

उनकी भक्ति में मन को लगाना चाहिए और भगवान के धाम से जुड़े रहना चाहिए। इसके बाद सब भक्त जनों ने उन्हें और लिंग पुराण को भगवान का स्वरूप मानकर भावपूर्ण विदाई दी। ‌

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