नूरपुर, देवांश राजपूत
नूरपुर क्षेत्र के युवा गो रक्षकों ने बेसहारा गायों को अपने घर में आसरा देकर उन लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है, जो लोग उस गाय काे दूध सूख जाने पर घर से बेघर कर दर दर की ठोकरें खाने को छोड़ देते हैं। ऐसी बेसहारा गायों के झुंड यदि अपनी पेट की आग को बुझाने के लिए किसानों के खेतों में पहुंचती हैं तो वहां पर भी उन्हें प्रताड़ित होना पड़ता है और यदि सड़कों पर टहलती हैं तो न केवल यह गाय हादसों का कारण बनकर गम्भीर रूप से खुद घायल हो जाती हैं बल्कि कई बार वाहन चालकों की जान पर भी भारी पड़ जाती हैं। स्वार्थी लोगों द्वारा बेसहारा की गई इन गायों और गोवंश के लिए गो रक्षा दल नूरपुर की टीम पिछले दो साल से क्षेत्र में निशुल्क गोवंश की सेवा में जुटी हुई है।
सड़क पर जब भी कोई घायल गाय की सूचना इन्हें मिलती है तो टीम के सदस्य तुरंत उस घायल गाय का उपचार करने पहुंच जाते हैं और गंभीर रूप से घायल गायों को गोशालाओं में पहुंचाकर उनके उपचार का प्रावधान करवाते हैं। टीम की नई मुहिम में नूरपुर क्षेत्र के चार युवाओं बागनी से महिंदर सिंह और रवि कुमार तथा टानण गांव से बलदेव सिंह व बलदून गांव के तरसेम सिंह ने चार गायों को अपने घर सहारा देकर उनके पालन पोषण का बीड़ा उठाया है, जो बेहद प्रशंसनीय कार्य है।
टीम द्वारा पिछले दो सालों में सड़क हादसों से घायल हुई करीब 300 गायों और गोवंश का उपचार करवाया गया है। रात के समय सड़कों पर टहलने वाली गायों को वाहनों की चपेट में आने से बचाने और वाहन चालकों को गायों का आभास कराने के लिए करीब 500 गायों और गोवंश को रेडियम कॉलर पहनाने का भी कार्य कर चुके हैं।
सड़क पर दुर्घटना से बचने और बचाने के लिए यह रेडियम कॉलर काफी कारगर सिद् हुए हैं। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जब लाकडाउन लगा तो टीम द्वारा बेसहारा गोवंश को मिक्स चारे और पानी का भी प्रावधान करवाया जा रहा है।
गो रक्षा दल नूरपुर की टीम के सदस्य अर्पण चावला ने बताया कि उक्त दल में करीब 40 युवा सदस्यों की टीम है यह टीम गाय माता की सेवा के लिए कार्यरत है। टीम का लक्ष्य है कि कोई भी गाय और गोवंश बेसहारा न रहे, इसी लक्ष्य को लेकर समाज को जागरूक भी किया जा रहा है। सड़क पर घायल गायों और गोवंश की सेवा करना दल की प्राथमिकता है।