सिरमौर – नरेश कुमार राधे
बेड़ा समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिलाने के लिए वर्षों तक संघर्ष करने वाले समाजसेवी नरेश कुमार का 75 वर्ष की आयु में आकस्मिक निधन हो गया है। रविवार देर शाम उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें संगड़ाह अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सोमवार को पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
संगड़ाह उपमंडल के निवासी नरेश कुमार ने करीब 10 वर्षों तक लगातार प्रयास कर बेड़ा समुदाय को उनका हक दिलाया। उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा था कि सितंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिरमौर जिले की बेड़ा जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिया।
इससे पहले इस समुदाय को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया वर्ष 2012 में ही बंद कर दी गई थी, जिससे समुदाय के लोग सरकारी योजनाओं और आरक्षण जैसी सुविधाओं से वंचित हो गए थे। नरेश कुमार ने वर्ष 2012 से ही इस मुद्दे को लेकर कई जनप्रतिनिधियों, मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों से पत्राचार शुरू किया।
उन्होंने 22 दिसंबर 2021, 30 सितंबर 2020, और 21 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश जनजातीय विकास विभाग के आयुक्त को पत्र भेजे। इसके अलावा भी उन्होंने सैकड़ों बार अधिकारियों और विभागों के चक्कर लगाए और दर्जनों बार दिल्ली और शिमला की यात्राएं कीं।
नरेश कुमार के प्रयासों के फलस्वरूप प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद जनजातीय विकास विभाग ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों और आईटी निदेशक को पत्र भेजा, और अंततः ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर बेड़ा/बेटा जाति को ST सूची में शामिल किया गया।
बेड़ा व भरड़ा समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से शादियों व अन्य समारोह में बाजा बजाने तथा अनाज के बदले कपड़े सिलने का कार्य करते आए हैं। दलित और गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले नरेश कुमार के निधन से क्षेत्र में गहरा शोक है। पंचायत प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और समुदाय के लोगों ने उन्हें सच्चा योद्धा बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।