बुजुर्ग की दयनीय स्थिति से निखरती मानवता, डंडे पर उठाकर 6 किलोमीटर की कठिन यात्रा
सिरमौर – नरेश कुमार राधे
यह कहानी पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से कुलथीना गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग की है, जिसे हालात ने नर्क की तरफ धकेल दिया था। 70 वर्षीय जगिया राम की आंखों की रोशनी और सुनने की क्षमता छिन चुकी है। पिछले तीन साल से बिस्तर पर पड़े हुए थे।
जीवन की कठिनाइयों ने उन्हें एक छोटे से कमरे में गंदगी के बीच अकेला और बेबस छोड़ दिया था। लेकिन काले अंधेरे के बीच, एक इंसान ने अपनी मानवता और संवेदनशीलता से एक नई उम्मीद की किरण फूंक दी।
युवा पत्रकार संजय कंवर की पहचान प्रभावशाली व गहरी संवेदनशीलता और समाज के प्रति जिम्मेदारी से होती है। बुजुर्ग की कठिनाई का अहसास होने के बाद एक नई दिशा में कदम बढ़ाया। जब बुजुर्ग की दशा के बारे में जानकारी मिलने के बाद तुरंत इस मुद्दे का संज्ञान लिया।
संजय उस समय मोहाली में एक बच्ची के दिल के ऑपरेशन के सिलसिले में थे, लेकिन बुजुर्ग की मदद की चिंता ने उन्हें परेशान कर दिया। मोहाली से लौटने के बाद तुरंत कार्रवाई की।
संजय कंवर ने पांवटा साहिब में तहसील कल्याण कार्यालय में तैनात चतर तोमर के साथ मिलकर बुजुर्ग के हालात का जायजा लिया। उन्होंने देखा कि जगिया राम की स्थिति बेहद दयनीय थी। ग्रामीणों से बातचीत में यह पता चला कि बुजुर्ग के परिवार में कोई नहीं है,वो बहुत लंबे समय से अकेले ही थे। संजय ने गांव के युवाओं से संपर्क किया और उनकी मदद से बुजुर्ग को सड़क तक लाने का फैसला किया।
गांव के युवा देवानंद, अजय तोमर, राहुल ठाकुर, सुनील और अंकित ने मिलकर बुजुर्ग को कंबल में लपेटकर, डंडे पर उठाकर 6 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय की। उनकी इस मानवता और समर्पण ने साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी एकजुटता और सहयोग की शक्ति अपार होती है।
उपलब्ध संसाधनो और स्थानीय सहयोग के साथ संजय कंवर ने बुजुर्ग को पांवटा साहिब लाने में सफल हो गए। अब बुजुर्ग को अंशुल शर्मा के नशा मुक्ति केंद्र में रखा गया है, जहां मेडिकल जांच की जा रही है। इसके बाद उन्हें राजस्थान के भरतपुर स्थित “अपना घर” आश्रम में शिफ्ट किया जाएगा, जहां उन्हें न केवल बेहतर देखभाल मिलेगी बल्कि एक नया जीवन भी मिलेगा।