बिहार में बेटे को मरा हुआ मान परिवार ने छोड़ दी थी मिलने की आस, हिमाचल में छह साल बाद मिला जिंदा

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बिहार में बेटे को मरा हुआ मान परिवार ने छोड़ दी थी मिलने की आस, हिमाचल में छह साल बाद मिला जिंदा

सिरमौर – नरेश कुमार राधे

बॉलीवुड फिल्म बंजरगी भाईजान में सलमान खान एक खोई हुई बच्ची को मिलवाने के लिए कई मुसाबीतों का सामना कर उसे आखिरकार उसे उसके परिवार से मिलवा देते हैं, लेकिन वो फिल्मी कहानी है। असल में पांवटा साहिब में असली बजरंगी भाईजान हैं जो परिवार से बिछड़ चुके मानसिक रूप से बीमार लोगों को उनके परिवार से मिलवाते हैं।

अब तक पांवटा साहिब का बजरंगी भाईजान कई लोगोंं को सड़क और कूड़े के ढेर से उठाकर नरक जैसी जिंदगी से बाहर लाकर उन्हें उनके परिवार से मिलवा चुके हैं। एक बार फिर जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि बिहार का मानसिक रूप से बीमार मुकेश कूड़े के ढेर पर नरक जैसी जिंदगी बिता रहा तो फिर बजरंगी भाईजान उर्फ संजय कंवर ने मुकेश को परिवार तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।

दरअसल 2017 में मानसिक स्थिति खराब होने के बाद 18 जून 2018 को मुकेश अचानक घर से लापता हो गया था, जिसके बाद छह साल तक मुकेश दर दर की ठोकरें खाता रहा। घरवालों ने उसे ढूंढने की खूब कोशिश की, लेकिन फिर ये सोचकर हार मान ली कि क्या पता वो अब इस दुनिया में ही नहीं है, लेकिन उसकी मां ये मानने को तैयार नहीं थी।

मुकेश कूड़े से खाना उठाकर भरता था पेट

बिहार से हजारों किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में मुकेश कई दिनों से सड़क किनारे रह रहा था। कूड़े के ढेर से खाने की चीजें ढूंढकर अपना पेट भर रहा था और फुटपाथ पर सड़क किनारे कंबल लेकर रह रहा था। बीते हफ्ते लोगों ने ये जानकारी पत्रकार और समाजसेवी संजय कंवर को दी कि मानसिक रूप से एक व्यक्ति पांवटा में रह रहा।

इसके बाद संजय अपनी गाड़ी उठाकर मौके पर चले गए और मुकेश को रेस्क्यू करने के बाद उसे नहला धुलाकर खाना खिलाया। पूछताछ में उसने अपना नाम मुकेश और बिहार के मोतिहारी का रहने वाला बताया। इसके बाद संजय कंवर ने मुकेश के परिवार को ढूंढने की कोशिश शुरू की।

छह साल बाद परिवार से मिला मुकेश

संजय कंवर ने बताया कि, ‘हमने एक मानसिक रूप से बीमार युवक को पांवटा साहिब के गोंदपुर से 3 अप्रैल 2025 को रेस्क्यू कर तारूवाला स्थित सेंटर में लाया, जहां पर उसने अपना नाम मुकेश कुमार और बिहार के कोरिया पट्टी गांव का रहने वाला बताया।

इसके बाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले मित्र रमाकांत ने कोरिया पट्टी बीएलओ के कुछ मोबाइल नंबर ट्रेस किए। हमने इन मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो कोरिया पट्टी स्कूल के एक अध्यापक हेम शंकर जी से बात हुई और हेम शंकर जी ने मुकेश के परिजनों को इसकी जानकारी दी।

परिवार से बातचीत के बाद पता चला कि मुकेश कुमार (27) पुत्र कुलदीप पासवान गांव एंव पोस्ट आफिस कोरिया पट्टी, पुलिस थाना जदिया बाजार, जिला सोपौल, बिहार का रहने वाला है। इसके बाद लापता मुकेश कुमार की माता ललिता देवी का फोन आया।

तीन दिन पहले मुकेश की माता और भाई बिहार से ट्रेन के माध्यम से पांवटा साहिब पहुंचे। पांवटा साहिब पुलिस थाना में पुलिस की मौजूदगी में मुकेश को उनकी माता के सुपुर्द किया गया। मुकेश को सामने देख उनकी माता ललिता देवी बहुत खुश नजर आई।

बेटे को देखकर मां हुई खुश

मुकेश की माता ललिता देवी ने बताया कि ‘बेटा वर्ष 2017 में मानसिक रूप से बीमार हो गया था, जिसके बाद अस्पताल से उपचार चल रहा था, लेकिन 18 जून 2018 को अचानक घर से लापता हो गया था, बेटे की बहुत तलाश की थी। पुलिस में भी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन मुकेश का कोई पता नहीं चल पाया, लेकिन अब बेटे को दोबारा वापस पाकर मुझे खुशी हो रही है।

गलती से ट्रेन में बैठ गया था मुकेश

मुकेश से बातचीत में पता चला कि वो 2018 में गलती से ट्रेन में बैठकर दिल्ली पहुंच गया था। इसके बाद छह साल तक अलग अलग जगह भटकता रहा। मुकेश गलती से ट्रेन में बैठ तो गया था, लेकिन उसे ये पता नहीं था घर वापस कैसे जाना है। यही वजह रही को मुकेश छह साल तक यहां वहां भटकता रहा।

एक महीना पहले ही मुकेश भटकता हुआ पांवटा साहिब पहुंच गया था। दो हफ्ते तक मुकेश पांवटा साहिब में ही भटक रहा था। इसकी सूचना लोगों ने संजय कंवर को दी। इसके बाद संजय कंवर ने मुकेश के परिवार का पता ढूंढ निकाला और फिर वीडियो कॉल पर परिवार की मुकेश की बात करवाई।

मुकेश को परिवार ने वीडियो कॉल पर पहचान लिया। इसके बाद परिवार बेटे को लेने पांवटा पहुंचा और खुशी खुशी बेटे को लेकर बिहार रवाना हो गया। बता दें कि संजय कंवर अब तक मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के बाद सालों से घर से लापता कई लोगों को परिवार से मिलवा चुके हैं।

एसडीएम ने की तारीफ

एसडीएम गुंजीत सिंह चीमा कहा कि संजय कंवर का काम काबिले तारीफ है। ऐसे मामलों में हमारी एक जनरल परमिशन रहती है, हम ऐसे लोंगों के परिजनों से बात करने के बाद ही जाने की परमिशन देते हैं। मानव सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती। संजय कंवर बेहतरीन काम कर रहे हैं, प्रशासन की जहां भी जरुरत होगी हमारा सहयोग मिलता रहेगा।

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