धर्मशाला,राजीव जस्वाल
बिना लाइसेंस क्लीनिक चलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने दोषी को 3 साल का कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। जिला न्यायवादी राजेश वर्मा ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर को शिकायतें मिल रहीं थी कि बीड़ में बिना लाइसेंस एक व्यक्ति लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रहा है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए ड्रग इंस्पेक्टर आशीष रैणा ने 12 मार्च 2010 को तिब्बतियन काॅलोनी के पास एक क्लीनिक में दबिश दी। क्लीनिक से 11 प्रकार के एलोपैथी दवाईयां बरामद हुईं। यह दवाईयां अधिकतर सभी सामान्य बीमारियों के लिए थीं। क्लीनिक संचालक से क्लीनिक का लाइसेंस मांगा गया तो संचालक ने कहा कि उसके पास इंडियन बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसन का सर्टिफिकेट है।
इसी के आधार पर वह फैक्टरियों से दवाईयां मंगवाता है और यहां लोगों को बेचता है। इसके अलावा व्यक्ति के पास किसी भी तरह का कोई सर्टिफिकेट नहीं था। बिना लाइसेंस व बिल के दवाइयां बेचने पर व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाना बैजनाथ में 18-सी ड्रग कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत केस दर्ज किया गया। ड्रग इंस्पेक्टर व पुलिस जांच के बाद केस विशेष जज एवं जिला सत्र न्यायधीश जे.के. शर्मा की अदालत में पहुंचा। न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 3 गवाहों व ड्रग इस्पेक्टर आशीष रैणा की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने दोषी को 3 साल का कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है।