बद्दी – रजनीश ठाकुर
औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के तहत काठा स्थित वाईएल फार्मा में नकली और अवैध दवाओं के निर्माण का भंडाफोड़ होने के बाद दवा नियंत्रण प्रशासन ने निर्णायक कार्रवाई करते हुए फार्मा कंपनी के पार्टनर को गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने आरोपी को चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
आरोप है कि इस यूनिट में न सिर्फ घटिया और नकली दवाइयां बनाई जा रही थीं, बल्कि कई उत्पाद एक फर्जी कंपनी के नाम पर पैक कर बाज़ार में भेजे जा रहे थे। इसका खुलासा तब हुआ, जब राजस्थान ड्रग्स कंट्रोलर ने वाईएल फार्मा द्वारा निर्मित लेवोसेटिरीजीन (विन्सेंट एल.) टैबलेट को नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी घोषित कर इसकी जानकारी हिमाचल के दवा नियामक को भेजी।
सूचना के बाद राज्य औषधि नियंत्रक डा. मनीष कपूर के निर्देश पर पहली नवंबर को ड्रग इंस्पेक्टर सुरेश चौहान और विकास ठाकुर की टीम ने औचक निरीक्षण किया, जिसमें गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि 29 मार्च, 2025 को जारी स्टॉप मैन्युफैक्चरिंग ऑर्डर के बावजूद यूनिट में चोरी छिपे अवैध तौर पर उत्पादन जारी था।
मशीनें चल रही थीं, दवाएं तैयार हो रही थीं और कच्चा माल बड़ी मात्रा में उपलब्ध था, जबकि आवश्यक बैच रिकॉर्ड, लॉगबुक और टेस्ट रिपोर्ट जैसे दस्तावेज़ या तो अधूरे थे या थे ही नहीं। टीम ने तीन नवंबर को फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसका जवाब संतोषजनक न पाकर उसी दिन फर्म का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
यूनिट कोई भी कानूनी रिकॉर्ड जैसे बैच निर्माण रिकॉर्ड या जांच एवं विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सकी। अगली जांच में टीम को प्रेगाबैरिल 300 (प्रेगाबैलिन कैप्सूल)की खेप मिली, जिन पर सिक्किम की एक फर्जी कंपनी का नाम छपा हुआ था।
यह इस बात का पक्का प्रमाण था कि यूनिट में फर्जी ब्रांडिंग और नकली लेबलिंग के साथ बड़े पैमाने पर दवाइयां बनाई जा रही थीं। निरीक्षण के दौरान बड़ी मात्रा में टैबलेट्स, कैप्सूल्स, पैकिंग सामग्री, प्रिंटिंग स्टीरियो और कच्चा माल भी बरामद हुआ।
स्पष्टीकरण मांगने पर कंपनी का जवाब असंतोषजनक पाया गया, जिसके बाद विभाग ने यूनिट के दोनों मैन्युफेक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर दिए और आपराधिक कार्रवाई शुरू की। आरोपी अखिलेश कुमार को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसके अपराध धारा 27(सी) के अंतर्गत कठोर दंड के प्रावधान रखते हैं।
बता दें कि आरोपी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 19 नवंबर तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। गिरफ्तारी के बाद अब जांच और गहराई तक जाएगी, जिसमें फर्म की सप्लाई चेन, कच्चे माल का स्रोत, बाहर भेजे गए बैचों का रिकॉर्ड और बाजार में पहुंच चुकी दवाइयों की ट्रेसिंग की विस्तृत पड़ताल शामिल होगी। यह भी आशंका जताई जा रही है कि फर्जी निर्माण के इस नेटवर्क से कई और उत्पाद और बैच जुड़े हो सकते हैं।
जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत कार्रवाई
राज्य औषधि नियंत्रक डा. मनीष कपूर ने कहा कि आदेशों की अवहेलना, रिकॉर्ड न रखना और नकली दवाओं का निर्माण जनता की स्वास्थ्य-सुरक्षा पर सीधा प्रहार है। विभाग इस पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई जारी रखेगा। दवाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी अनियमितताओं को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रदेश सरकार गुणवत्ता आधारित दवा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
दवाएं बाजार से वापस मंगवाने के निर्देश
प्रशासन ने वाईएल फार्मा द्वारा निर्मित सभी दवाओं को बाजार से तुरंत रिकॉल करने के निर्देश दिए हैं, जिसकी निगरानी ड्रग इंस्पेक्टर बद्दी करेंगे। बीबीएन क्षेत्र की कई और फार्मा यूनिट्स भी विभाग की राडार पर हैं और निकट भविष्य में सघन सैंपलिंग व संयुक्त निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा।

