पैरा वर्कर्ज की तरह ही होगी पॉलिसी; विभाग सहमत, तो ही होगी लागू, 68 विभागों, 38 बोर्ड-निगमों और 8 शैक्षणिक बोर्ड में 27617 आउटसोर्स कर्मचारी
शिमला – जसपाल ठाकुर
हिमाचल सरकार विधानसभा चुनाव से पहले आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी में सुरक्षा देने का रास्ता निकाल रही है।
राजस्व एवं जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सब कमेटी इस मामले को देख रही है और अब सिफारिशों को फाइनल किया जाना बाकी है।
कैबिनेट सब कमेटी के डाटा एनालिसिस और विभागों से चर्चा की प्रक्रिया में शामिल रहे सूत्रों के अनुसार आउटसोर्स कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी देने पर सहमति बन गई है।हालांकि इनके वेतन स्ट्रक्चर में क्या बदलाव होगा? इस पर अभी फैसला होना है।
कैबिनेट सब कमेटी ने विभिन्न विभागों में डाइंग कैडर के पदों के बारे में जानकारी मांग कर एक विकल्प तैयार करने की कोशिश की थी, लेकिन डाइंग कैडर के पद कुल कर्मचारियों से आधे ही निकले हैं।
कैबिनेट सब कमेटी के पास तैयार हुए डाटा के अनुसार राज्य में कुल आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या 27617 निकली है। इसमें विभिन्न विभागों की सोसायटियों के कर्मचारी भी शामिल हैं।
यह डाटा 68 विभागों, 38 निगम और बोर्ड तथा आठ शैक्षणिक बोर्ड एवं संस्थाओं से आया है। यानी इन विभागों और बोर्डों में ये कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर विभिन्न विभागों से मांगी गई डाइंग कैडर के पदों की संख्या सिर्फ 14609 निकली हैं।
ये पद भी करीब 42 विभागों या निगम बोर्डों में मिले हैं, चीन ने पिछले कुछ सालों में खत्म कर दिया गया था। इसका अर्थ यह हुआ कि कुल आउटसोर्स कर्मचारियों के मुकाबले डाइंग कैडर पद सिर्फ आधे हैं।
एक नई बात यह भी होगी कि कैबिनेट सब कमेटी इन कर्मचारियों को पैरा वर्कर पॉलिसी की तरह ही कोई पॉलिसी देने जा रही है, जिसमें कम से कम जॉब सिक्योरिटी सुनिश्चित हो जाएगी, लेकिन इस पॉलिसी को अपने यहां लागू करना है या नहीं? यह विभागों के ऊपर निर्भर करेगा।
यह एक तरह से ऐसी व्यवस्था होगी, जैसे फाइनांशियल मामलों में विभागों में फैसला लागू करने के बाद निगम और बोर्ड के लिए राज्य सरकार उनकी वित्तीय स्थिति के हिसाब से फैसला लेने का विकल्प छोड़ देती है।
सब कमेटी के पास विभागों से आई वित्तीय जानकारी के अनुसार यह भी तय हो गया है कि जितना खर्चा इन कर्मचारियों को आउटसोर्स के माध्यम से हायर करने पर हो रहा है, यदि आउटसोर्स पॉलिसी के माध्यम से भी नियुक्त करें, तो इसी में काम चल जाएगा।
इसलिए अतिरिक्त खर्च नहीं पड़ रहा है, लेकिन अब फर्क सिर्फ इतना है कि कैबिनेट सब कमेटी कब अपनी सिफारिशें कैबिनेट में रखेगी?
क्या कहते हैं कैबिनेट सब कमेटी के चेयरमैन:
कैबिनेट सब कमेटी के चेयरमैन जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि सब कमेटी की सिफारिशें तभी सामने आएंगी, जब कैबिनेट मंजूरी दे देगी। क्योंकि अंतिम फैसला कैबिनेट को लेना है।
हम मौजूदा विकल्पों और संसाधनों के अनुसार इस बारे में कर्मचारियों के हित में बेहतर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।
यह फैसला क्या होगा? यह इस स्तर पर बताना अभी संभव नहीं है। आउटसोर्स कर्मचारियों को थोड़ा सा और इंतजार करना चाहिए।