पांच विषयों में PG करने वाला बना इतिहास प्रवक्ता, JNV छात्र की सफलता।
सिरमौर – नरेश कुमार राधे
सफलता उन लोगों का इंतजार करती है जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के पच्छाद उपमंडल की लानाबाका पंचायत के कतियाना निवासी पवन कुमार ने इस बात को सच कर दिखाया है।
अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने इतिहास प्रवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि से गांव और परिवार में हर्ष का माहौल है।
पवन कुमार शुरू से ही शिक्षा के प्रति अत्यधिक रुचि रखते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में हुई, जबकि उच्च शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, नाहन में हुई।
उन्होंने अपने ज्ञान को निरंतर समृद्ध करते हुए अब तक आठ महत्वपूर्ण शैक्षणिक डिग्रियां हासिल की हैं। इनमें बीएड के साथ एमएससी (भूगोल), एमए (इतिहास), एमए (लोक प्रशासन), एम ए (हिंदी), एमए (समाजशास्त्र), एमए (राजनीति विज्ञान) शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा भी प्राप्त किया है। उनकी यह उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि शिक्षा उनके लिए केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि जीवन भर सीखने की प्रक्रिया है।
पवन कुमार डॉ. भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानते हैं और उनके सिद्धांतों से प्रेरित होकर शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ने का संकल्प रखते हैं। उनका मानना है कि “शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन को दिशा देती है।
वर्षों की मेहनत लाई रंग
पवन कुमार पिछले छह वर्षों से डिंगर किन्नर स्कूल में एसएमसी शिक्षक के रूप में इतिहास पढ़ा रहे थे। हालांकि, उनका लक्ष्य एक स्थायी प्रवक्ता बनना था। अब परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने अपनी योग्यता को सिद्ध किया और सरकारी प्रवक्ता बनने का सपना साकार किया।
उनकी इस उपलब्धि ने क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का कार्य किया है। अपनी सफलता का श्रेय पवन कुमार अपने परिवार और विशेष रूप से 95 वर्षीय दादी जयंती देवी को देते हैं।
उनके पिता बालमुकुंद चौहान, माता चंपा देवी, बड़े भाई अमरजीत सिंह और बलजीत सिंह, भाभी रेखा और सुनीता ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया और संघर्ष के हर दौर में उनका साथ दिया।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी
पढ़ाई के साथ-साथ पवन कुमार कविता लेखन, नाटक लेखन, शायरी, सुविचार, कृषि, बागवानी, चित्रकारी, विद्युत उपकरणों और मशीनों से संबंधित कार्यों, आर्ट एंड क्राफ्ट में भी निपुण हैं।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे किसी भी कार्य को बहुत कम समय में सीखने की क्षमता रखते हैं। उनका मानना है कि “यदि लक्ष्य प्राप्ति के बाद शिक्षा को बंद कर दिया जाए, तो इसका अर्थ है कि शिक्षा आपके लिए केवल एक साधन थी, न कि वास्तविक ज्ञान का स्रोत। शिक्षा का उद्देश्य निरंतर सीखते रहना है।
पवन कुमार की यह सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। उनकी मेहनत और समर्पण यह साबित करता है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता।