सरकारों और नेताओं ने नहीं सुना तो अब शहीद की पत्नी ने पाई-पाई जोड़कर इकट्ठे किए करीब 60 हजार रुपये से खुद ही पति का स्मारक बनवा दिया। भवाई पंचायत के कुफर गांव के नायक कुलदीप सिंह 21 जुलाई 2001 को सियाचिन में ग्लेशियर की चपेट में आने से शहीद हो गए थे।
व्यूरो, रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गईं। हर चुनाव में शहीद की पत्नी को पति का स्मारक बनाने के लिए नेता आश्वासन देते पर चुनाव के बाद सब भूल जाते। सरकारों और नेताओं ने नहीं सुना तो अब शहीद की पत्नी ने पाई-पाई जोड़कर इकट्ठे किए करीब 60 हजार रुपये से खुद ही पति का स्मारक बनवा दिया।
भवाई पंचायत के कुफर गांव के नायक कुलदीप सिंह 21 जुलाई 2001 को सियाचिन में ग्लेशियर की चपेट में आने से शहीद हो गए थे। उस समय उनके चार बच्चों में सबसे छोटी बेटी की उम्र दो वर्ष थी। शहीद की पत्नी फुलमा देवी ने अपने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
शहीद की पत्नी ने 20 वर्षों तक क्षेत्र में वोट मांगने आने वाले नेताओं से उम्मीद की थी कि वह उनके शहीद पति की याद में कोई कार्य करेंगे। लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नेताओं की निष्क्रियता को देखते हुए फुलमा ने स्वयं ही पति की प्रतिमा बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने का मन बनाया। उन्होंने राजस्थान जाकर शहीद पति की प्रतिमा बनवाई और गांव में उनकी याद को अमर कर दिया।
शहीद कुलदीप की 20वीं पुण्यतिथि पर स्थानीय पंचायत प्रधान जोगेंद्र ठाकुर ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने फुलमा देवी द्वारा स्वयं ही क्षेत्र के वीर सपूत की प्रतिमा बनवाने के लिए उनकी प्रशंसा की। इस दौरान एक सादे समारोह में गांव के लोगों ने शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
सेना न होती तो अनाथ हो जाते मेरे बच्चे : फुलमा
शहीद की पत्नी फुलमा देवी ने बताया कि पति की शहादत के कुछ समय बाद अधरंग से उनका आधा शरीर बेकार हो गया। यदि सेना मदद न करती तो शायद मेरे बच्चे अनाथ हो जाते। उन्होंने कहा कि सरकार एवं स्थानीय नेताओं द्वारा शहीद की याद में कोई संस्थान एवं स्मारक न बनाए जाने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा।