द्रोणाचार्य महाविद्यालय में दो दिवसीय फेकल्टी डेवलोपमेन्ट प्रोग्राम का आयोजन

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रैत,महाविद्यालय पत्रकार

द्रोणाचार्य शिक्षण स्नातकोत्तर महाविद्लय रैत में दो दिवसीय फेकल्टी डेवलोपमेन्ट प्रोग्राम (अग्रसर) का आयोजन किया गया I इसमें सुबह के सत्र में डा बीएस पठानिया महाविद्यालय कार्यकारी अध्यक्ष ने मुख्यातिथि और मुख्या वक्ता के रूप शिरकत की I कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर की गई इसके बाद पहले दिन मुख्या वक्ता डा बीएस पठानिया ने सेल्फ अवेकनिंग एंड डेवलोपमेन्ट द लीडर विद इन विषय पर अपने बिचार साँझा किए I उन्होंने एनएलपी प्रोग्राम पर बात की उन्होंने कहा की कुल मिलाकर एनएलपी तकनीक एक अध्ययन या पढ़ाई है। वो पढ़ाई जो सोच, व्यवहार और लैग्वेंज पर आधारित होती है और उस पर काम करती है। यह तकनीक हमारे शरीर और दिमाग को दिशानिर्देश करती है और रास्ता दिखाने के लिए तैयार करती है। यह टेक्निक यह परिभाषित करती है कि हम कोड और श्रेष्ठता का उत्पादन कैसे करते है, जिससे हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो। इस टेक्निक के साथ आप रणनीतियो का एक ग्रुप बना सकते है, जो आपके लिए फैसला लेने, स्थायी संबंध बनाने अपने पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लोगों को मोटिवेट करने के लिए बातचीत करना, और अपनी लाइफ को बैलेंस करने के लिए सही प्रकार से काम कर सके। इस टेक्निक के जरिए हम दुनिया के किसी भी काम में ऊचाई को छू सकते है। अगर हम इस टेक्निक को अध्यात्म से जोड़ते है तो गलत नही होगा। एक प्रकार से इस टेक्निक हमारे शरीर और मस्तिष्क द्वारा हम खुद पर कंट्रोल कर सकते I वहीँ सुबह के दूसरे सत्र में मनु भारद्वाज फ्रीलांस ट्रेनर इन्होने इफेक्टिव लीडरशिप टीम विल्डिंग स्कूल पर अधयापकों और बच्चों के युवा परिवर्तन पर अपने विचार रखे टीम लीडर ऐसा होना चाहिए जो अपने सहकर्मियों को प्रेरित करे. अगर आप भी बेहतरीन टीम लीडर बनना चाहते हैं तो आपको यह हुनर सीखना होगा I अच्छा नेतृत्व कौशल न सिर्फ टीम कार्यक्षमता बढ़ाता है बल्कि इससे सहकर्मियों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. प्रभावशाली प्रबंधन न सिर्फ लोगों पर अपना असर छोड़ता है, बल्कि उनकी कुशलता को भी सही दिशा में लेकर जाता है. प्रोत्साहन और प्रगति का गहरा संबंध होता है. जानिए कुछ ऐसे तरीके, जो आपको एक बेहतरीन टीम लीडर बना जैसे अक्ल के लिए आईक्यू जरूरी होता है, वैसे ही टीम में ईक्यू यानी इमोशनल कोशंट जरूरी होता है. हैकअर्थ के सह-संस्थापक विवेक प्रकाश कहते हैं, “छोटी-छोटी बातों में दखल दिए बगैर टीम को निर्देश देना चाहिए. नए आइडियाज के लिए अपने विचार खुला रखें और उन्हें अपनाने से कतराएं नहीं.” I दूसरे दिन के पहले सत्र में सहायक आचार्य राजेश राणा ने इफेक्टिव गोल सेटिंग के बारे में बताया I

उन्होंने बताया कि आपने जो गोल्स बनाए है, जो भी आप अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहते है, उसे लिखिए जरूर क्यों की सिर्फ सोचने से गोल अचीव नहीं होते है. अपने गोल्स को अपनी डायरी में जरूर लिखे और साथ में एक्शन प्लान भी लिखिए की कैसे आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचना है, इससे आपके दिमाग में पूरी तरह क्लियर रहेगा की मुझे यह गोल अचीव करना है. इस लिए आपके सभी गोल्स गोल्स लिखित रूप में होना चाहिए I इसके बाद डा बीएस पठानिया ने सभी को आधात्मिक मैडिटेशन कि जिससे सभी ने स्फूर्ति का एहसास किया दूसरे सत्र मेंअंत में डॉ पूनम देवी ने सभी का धन्यबाद किया इसके बाद सहायक आचार्य मेघना पठानिया ने मनोवैज्ञानिक खेल के द्वारा जीवन को कैसे जीना है इसके बारे में बताया I इस मोके पर प्रबंध निदेशक जीएस पठानिया ,कार्यकारिणी निदेशक बीएस पठानिया ,शैक्षिक अधिष्ठाता डा प्रवीण कुमार शर्मा, एचओडी बीएड सुमित शर्मा ,एचओडी बीबीए मुकेश शर्मा ,एचओडी बीसीए राजेश राणा सहित महाविद्यालय का स्टाफ उपस्थित रहा I

 

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